देश के पहले 16 किमी लंबे एनिमल अंडरपास से 10 महीने में गुजरे साढ़े पांच हजार जंगली जानवर, 89 बार गुजरा बाघ, 78 कैमरों से हुई निगरानी

(अनिरुद्ध शर्मा) देश में पहली बार नेशनल हाइवे- 44 के 16 किमी के क्षेत्र में बनाए गए 9 एनिमल अंडरपास से 10 महीने में 89 बार बाघ के गुजरने की घटना दर्ज हुई। 18 किस्म के 5,450 जंगली जानवर इस अंडरपास से गुजरे। पेच टाइगर रिजर्व में बनाए गए दुनिया के सबसे लंबे इस एनिमल क्रॉसिंग स्ट्रक्चर से वन्यजीव व वाहनों के टकराने की हजारों घटनाएं भी टल गईं।

वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा एनिमल अंडरपास के जंगली जानवरों द्वारा किए जा रहे इस्तेमाल पर रिपोर्ट में यह बातें सामने आई हैं। रिपोर्ट तैयार करने वाले डॉ. बिलाल हबीब ने कहा कि श्रीनगर से कन्याकुमारी को जोड़ने वाले एनएच-44 को जब दो लेन से चार लेन में अपग्रेड करने की बात हुई, तो इस प्रोजेक्ट को मंजूरी ही इस शर्त पर मिली कि सघन जंगली इलाकों में जानवरों को गुजरने के लिए एनिमल क्रॉसिंग स्ट्रक्चर बनाए जाएं।

महाराष्ट्र में एनएच-44 पर 255 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करके जानवरों को गुजरने के लिए 4 छोटे पुल व 5 एनिमल अंडरपास बनाए गए। केवल जानवरों के लिए समर्पित इस तरह का यह दुनिया का सबसे लंबा ढांचा है। इन ढांचों में जानवरों के आवागमन की निगरानी के लिए 78 कैमरे भी लगाए गए ताकि पता लगे कि जानवरों ने इनका कितना इस्तेमाल किया।

भविष्य के क्रॉसिंग स्ट्रक्चर कैसे डिजाइन किए जाएं या मौजूदा ढांचे में क्या सुधार जरूरी है, जिससे उनका इस्तेमाल बढ़े। मार्च से दिसंबर-2019 के दौरान सभी 9 ढांचों में लगे कैमरों से 1,26,532 चित्र लिए गए। सभी ढांचों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा चीतल ने 3,165 बार और जंगली सूअर ने 677 बार किया।

खरगोश, बिल्ली जैसे छोटे जानवरों को भी यहां से गुजरते हुए देखा गया। अधिकांश जानवरों ने रात में इन ढांचों का इस्तेमाल किया। बाघों के गुजरने के 89 मामले दर्ज हुए जिनकी पहचान 11 बाघों के रूप में हुई। इनमें से केवल एक बाघ केवल एक बार गुजरता दिखा जबकि बाकी 10 बाघों ने इन पुलों का बार-बार इस्तेमाल किया।

यह भी देखा गया जिन पुलों के नीचे से मानवीय आवागमन ज्यादा था, वहां जंगली जानवरों का गुजरना सबसे कम रहा। रिपोर्ट में पाया गया कि भालू छोटे अंडरपास में नहीं घुसता जबकि बाघ वहां से गुजर जाते हैं। मादा बाघ शावकों के साथ होती है, तो वह भी छोटे अंडरपास में नहीं घुसती। जिन अंडरपास व पुलों का बाघ ने इस्तेमाल किया, वहां से चीतल नहीं गुजरे।

एनिमल क्रॉसिंग स्ट्रक्चर से वन्यजीव व वाहनों के टकराव की हजारों घटनाएं टलीं

डॉ. हबीब ने कहा कि यदि यह ढांचा न होता तो जानवर सड़क पर वाहनों की आवाजाही के बीच से ही गुजरते और हर बार हादसों की संभावना बनी रहती। लेकिन इन ढांचों के बनने से हजारों हादसे टल गए। मिसाल के लिए जंगली भैंसा इस दौरान करीब 50 बार गुजरा जो 400 से 500 किलोग्राम वजन का होता हैै।

मान लीजिए किसी छोटी कार से उसकी टक्कर हो जाती तो गाड़ी का पलटना तय है। इससे जानवर तो जख्मी होता, साथ ही मानव जीवन व गाड़ी को भी बड़ा नुकसान होता। अगले 5-6 वर्षों में देश में करीब 50 हजार किमी लंबी नई सड़कें और पुरानी सड़कों का अपग्रेडेशन होना है। इसमें से करीब 20 हजार किमी हिस्सा देश के टाइगर रिजर्व से गुजरता है। उस लिहाज से यह रिपोर्ट भविष्य की सड़क योजना और वन्य जीव संरक्षण के मद्देनजर बहुत अहम है।



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पेच टाइगर रिजर्व में बनाए गए दुनिया के सबसे लंबे इस एनिमल क्रॉसिंग स्ट्रक्चर से वन्यजीव व वाहनों के टकराने की हजारों घटनाएं भी टल गईं।


source /national/news/five-and-a-half-thousand-wild-animals-passed-through-the-countrys-first-16-km-long-animal-underpass-in-10-months-89-tigers-passed-by-78-cameras-monitored-127707986.html

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