24 घंटे के लिए ब्रिटिश हाई कमिश्‍नर बनी ईशा बहल

Isha Bahl
हाल ही में विश्‍वस्‍तर पर कुछ ऐसा हुआ जिसने भारत को गौरवांवित कर दिया है। दरअसल, नोएडा की एक यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस की छात्रा को 24 घंटे के लिए ब्रिटेन का उच्‍चायुक्‍त यानि हाई कमिश्‍नर बनने का मौका मिला है। 11 अक्‍टूबर को अंतरराष्‍ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाना है जिसके लिए भारत की ओर से ईशा बहल को चुना गया। बीते सोमवार ईशा दिनभार भारत में बिटेन के उच्‍चायुक्‍त के रूप में कार्यभार संभालती रहीं। इस प्रतियोगिता में वीडियो प्रेजेंटेशन के ज़रिए बताना था कि उनकी नज़र में लैंगिक समानता क्‍या है।

उम्र थी बाधा
इस प्रतियोगिता में सिर्फ 18 से 23 साल की लड़कियां ही हिस्‍सा ले सकती थीं। इस प्रतियोगिता में नोएडा के एमिटी यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस की स्‍टूडेंट ईशा बहल जीती। इसमें देशभर से 58 लड़कियों ने हिस्‍सा लिया था लेकिन जीत ईशा को मिली।

खुश हैं ईशा
अपनी इस उपलब्धि से ईशा काफी खुश है और उसका कहना है कि उसे जो मौका मिला है वो उसकी जिंदगी में चार चांद लगा देगा। एक राजदूत बनने के बाद उसे पता चला कि ब्रिटेन और भारत के बीच कितने गहरे संबंध हैं और कितने पुराने भी। ईशा की इस जीत पर ब्रिटिश हाई कमीश्‍नर डोमिनिक एस्क्विथ ने कहा कि वो ईशा के विचारों से बहुत प्रभावित थे।

जब ईशा हाई कमिश्‍नर के रूप में कार्य कर रहीं थी तब डोमिनिक डिप्‍टी कमिश्‍नर के तौर पर कार्यरत थे। इसी दिन ईशा गुरुग्राम गईं और वहां चल रहे प्रोजेक्‍ट्स का मुआयना किया। वर्तमान ब्रिटिश उच्‍चायुक्‍त ने कहा कि वो भारत में महिलाओं और लड़कियों के कल्‍याण के लिए कई प्रोजेक्‍ट्स पर काम कर रहे हैं।

ईशा कहती हैं कि भले ही उन्‍हें सिर्फ 24 घंटे के लिए इस पद पर रहने का मौका मिला हो लेकिन इससे उन्‍हें काफी कुछ सीखने को मिला है जोकि जीवनभर उनके साथ रहेगा और इस प्रतियोगिता को जीतने का गर्व तो उन्‍हें हमेशा ही रहेगा।

जब ईशा से इस प्रतियोगिता के लिए की गई मेहनत के बारे में पूछा गया तो उसने जवाब दिया कि उसके लिए ये सब बहुत आसान था। उसने बस एक वीडियो बनाकर फेसबुक पर अपलोड की जिसमें उसे लैंगिक समानता पर अपने विचार रखने थे। कुछ हफ्तों बाद उसके पास एक मेल आया जिसमें लिखा था कि वो इस प्रतियोगिता की विनर बन चुकी हैं। ईशा के लिए यह सब बहुत ही शानदार अनुभव रहा है।

इस तरह की प्रतियोगिताओं से देश की महिलओं की योग्‍यता का भी पता चलता है और उनके विचारों मे कितनी गहराई और परिपक्‍वता है और उन्‍हें अपने देश से क्‍या चाहिए, इन सब बातों का पता चलता है। ईशा का इस प्रतियोगिता को जीतना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। खुद ईशा भी इस बात से बहुत खुश हैं और इस बात की भी पूरी गारंटी है कि उनकी ये जीत उनके आने वाले करियर और जिंदगी में मील का पत्‍थर साबित होगी।
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