अकबर पर लगे आरोप को लेकर 400 पत्रकारों ने दिया रमानी का साथ
आग की तरह फैलते जा रहे MeToo कैंपेन ने विदेश राज्य मंत्री एम जे अखबर का भी पर्दाफाश कर दिया है. एम जे अखबर पर एक या दो नहीं बल्कि २० महिलाओं ने यौन उत्पीडन का आरोप लगाया है जिसमें सबसे पहले नाम सामने आया है प्रिया रमानी, जोकि पेशे से एक पत्रकार हैं.
प्रिया समेत 15 और महिलाओं ने अकबर पर यौन शोषण का आरोप लगाया है. इन सभी के समर्थन में १७ महिला पत्रकार आंदोलन करने पर उतर आईं हैं. इससे देशभर में और सोशल मीडिया पर माहौल बेहद गरम हो गया है. जब इस मामले के कोर्ट तक ले जाने की बात हुई तो महिला पत्रकारों ने अदालत से रमानी का बयान सुनने को कहा और अकबर के खिलाफ सुनवाई जारी करने की मांग की.
हैरानी वाली बात ये है कि यह सभी महिलाएं अब प्रिया के साथ काम नहीं करती हैं लेकिन जब इस वारदात को अकबर ने अंजाम दिया था तब यह सभी महिलाएँ प्रिया के साथ एशियन ऐज न्यूज़ पेपर में काम करती थीं. सभी महिला पत्रकारों ने एक संयुक्त बयान में रमानी का समर्थन करने की बात कही और अदालत से आग्रह किया कि अकबर के खिलाफ उन्हें सुना जाए. सभी महिलाओं ने अपना यह बयान एक कागज पर लिखकर उस पर अपने हस्ताक्षर किए और कहा कि रमानी अपनी इस लड़ाई में अकेली नहीं हैं.
यह एक गंभीर मामला है जिसे कोर्ट को अवश्य सुनना होगा, मानहानि के खिलाफ अकबर पर कोई ठोस कदम उठाने होंगे. साथ ही महिला पत्रकारों ने ये तक बताया कि उन में से कई महिलाएँ एम जे अकबर द्वारा यौन शोषण की शिकार हुई हैं.
400 से अधिक पत्रकारों ने किया हस्ताक्षर
रमानी के साथ देशभर के बड़े-बड़े पत्रकार हैं जोकि उनका इस लडाई में साथ देने को तैयार हैं. इन सभी पत्रकारों ने संयुक्त बयान पर अपने दस्तखत किए, इनमें कुछ बड़े नाम भी शामिल हैं जैसे कि –
मीनल बघेल, मीनाक्षी कुमार, सुजाता दत्ता सचदेवा, हमिदा पार्कर, जोनाली बुरागोहैन, कुशल रानी गुलाब, कनीझा गजारी, मालविका बनर्जी, ए टी जयंती, मनीषा पांडेय, तुशिता पटेल, कणिका गहलोत, सुपर्णा शर्मा, रमोला तलवार बादाम, होइहनु होएजेल, आयशा खान और संजरी चटर्जी आदि.
अन्य महिलाओं ने भी रमानी को पत्र व ट्विटर के ज़रिए उनका हौंसला बढाया और कहा कि वह उनकी लड़ाई में उनके साथ हैं. द नेटवर्क ऑफ वुमेन इन इंडिया, फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स और बृहण मुंबई यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट द्वारा साझा बयान जारी किया गया है। सभी पत्रकारों ने भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और उनसे अकबर के खिलाफ सुनवाई की याचिंका दायर की. रमानी के मामले का 400 से अधिक पत्रकारों ने समर्थन दिया है.
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