भारत-US के बीच और मजबूत होंगे सैन्य सहयोग, दोनों देशों के बीच हुई बड़ी डील


भारत ने भले ही अमेरिका के खिलाफ जाकर रूस के साथ एस-४०० की डील फाइनल की हो लेकिब फिर भी इन दोनों देशों के बीच रिश्तों में अभी तक कोई तकरार नहीं हुई है. अमेरिका भी जानता है कि भारत कहीं ना कहीं अपने हित के लिए कदम जरूर उठाता रहेगा फिर चाहे वह उसके खिलाफ जाकर ही क्यों ना हो. लेकिन इस से भारत के साथ हमेशा के लिए रिश्ते खराब कर लेना अमेरिका के लिए भी एक घाटे का सौदा हो सकता है जिसके चलते अभी तक भारत और अमेरिका के रिश्तों में कोई बदलाव नहीं आया है.

यहां तक कि अब तो इन दोनों देशों के संबंध इतने मजबूत हो चुके हैं कि यह २+२ वार्ता के फौरन बाद ही अब संयुक्त युद्धाभ्यास की तैयारी में जुट गए हैं. १६ सितंबर से लेकर २९ सितंबर तक भारत और अमेरिका की सेनाएं उत्तराखंड के चौबटिया में वार्षिक युद्धाभ्यास कर चुके हैं. आपको बता दें कि दोनों देश रणनीतिक साझेदारी के तहत द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास में भाग लेते हैं.

इस वार्षिक युध्दाभ्यास में सबसे खास बात ये रही कि इसे अपग्रेड कर बटैलियन स्तर की फील्ड ट्रैनिंग एक्ससाइज (FTX) और एक डिविजन स्तर की कमांड पोस्ट एक्सर्साइज (CPX) कर दिया गया है.

हर साल इस युद्धाभ्यास में हर पक्ष की तरफ से केवल २०० सैनिक ही शामिल होते थे जबकि इस वर्ष ३५० सैनिकों ने भाग लिया. इस साल भारत ने अपनी तरफ सिस अभ्यास में १५ गढवाल राइल्स उतारी, पिछले वर्ष यह युद्धाभ्यास अमेरिका में लुईस-मैकॉर्ड जॉइंट बेस पर हुआ था.

रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिका और भारत ने अगले वर्ष के लिए पहले से ही मेगा ट्राई-सर्विस अभ्यास करने के लिए देश के पूर्वी तट को तय कर रखा है. ऐसा दूसरी बार हो रहा होगा जब भारत अपनी सेना, नौसेना और वायुसेना के संसाधनों और मैनपॉवर को किसी दूसरे देश के साथ युद्धाभ्यास के लिए तैनात करेगा, इससे पहले भारत ने ऐसा केवल रूस के साथ पिछले ही वर्ष व्लादिवोस्तोक में हुए युद्धाभ्यास में किया था.

आपको जानकर शायद हैरानी होगी लेकिन 1960 से लेकर आज तक भारत का प्रमुख डिफेंस सप्लायर रूस ही रहा है लेकिन इन दोनों देशो के बीच कम ही सेनाओं के युध्दाभ्यास हुए हैं. वहीं इसके विपरीत भारत और अमेरिका हर साल वॉरगेम में शामिल होते हैं, जिनमें जापान के साथ मिलकर मालाबार और वज्र प्रहार, युद्ध अभयाद डिर्ल्स हैं. इसके अलावा रूस के बाद धीरे-धीरे अमेरिका भारत का सबसे बडा डिफेंस सप्लायर बनता जा रहा है, साल २००७ से लेकर अब तक भारत अमेरिका के साथ १७ अरब डॉलर की डिफेंस डील फाइनल कर चुका है.

रक्षा मंत्री ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा था कि भारत की डिफेंस फोर्सेज अमेरिका के साथ मिल व्यापक प्रशिक्षण और सन्युकत अभ्यास करती हैं. यहां तक कि भारत की सेनाओं ने इन्हीं अभ्यासों के ज़रिए कई नए आयाम स्थापित करे हैं जिनके साथ उन्हें कई चीजें सीखने को मिली हैं. अपनी इन्हीं क्षमताओं को और बढाने के लिए अगली साल २०१९ में पूर्वी भारत के तट पर अमेरिका के साथ अपनी तीनों सेनाओ को शामिल कर संयुक्त अभ्यास करने का फैसला किया है. 

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