एमज अकबर ने दिया बुधवार को इस्तीफा
काफी समय से विवाद में फंसे एम जे अकबर ने हाल ही में अपना इस्तीफा देना मंजूर किया, विदेश दौरे से लौटते ही उन्हें बुधवार को एक मीटिंग में बुलाया गया, इस मीटिंग के ७२ घंटो के भीतर ना जाने ऐसा क्या हुआ जो इस्तीफा नहीं देने पर अड़े केंद्रीय राज्यमंत्री एमजे अकबर को पद छोड़ देना पड़ा?
एम जे अकबर पर लगे आरोपों को पहले मोदी सरकार ने एक व्यक्तिगत मामला बोलकर उन पर इस्तीफा देने के लिए कोई दबाव नहीं बनाया और उनकी आलोचना करने की बजाय उनका पक्ष लिया. इस बात पर मोदी सरकार की सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हुई. सरकार की छवि सुधारने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने हस्तक्षेप करते हुए एमजे अकबर को इस्तीफा देने के लिए कहा. इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण है और वो 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव.
बता दें कि इससे पहले भी भाजपा के कई नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए गए थे लेकिन कभी भी मोदी सरकार ने किसी मंत्री को अपने साढे चार साल के राज में इस्तीफा नहीं देने दिया, एम जे अकबर ऐसे पहले मंत्री हैं जिन्हें मोदी सरकार के होते हुए भी इस्तीफा देना पड़ा.
सरकार की तरफ से मंगलवार को एनएसए अजीत डोभाल ने एम जे अकबर को मीटिंग के दौरान बताया कि पीएम मोदी उनके इस्तीफा के बारे में क्या सोचते हैं. आपको बता दें कि विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर को जैसे ही पीएम मोदी की इच्छा का पता चला तो उन्होंने काफी देर इस विषय में सोच विचार किया जबकि दोनों ही मंत्रियों ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है कि उनके बीच पीएम मोदी के किसी संदेश की बात भी हुई हो लेकिन जिस तरह अगले ही दिन एम जे अकबर ने इस्तीफा दिया उससे यह बात साफ जाहिर हो गई कि इसमें नरेंद्र मोदी का हाथ है जिन्होंने आने वाले चुनाव जीतने के लिए ये रणनीति अपनाई और एम जे अकबर को इस्तीफा देने के लिए राजी कर लिया.
यह बात तो साफ जाहिर है कि पीएम मोदी को किसी का डर नहीं लेकिन अगर उन्हें कोई बात चिंतित कर देती है तो वह है चुनाव. दरअसल, एम जे अकबर मध्य प्रदेश से ही राज्यसभा सांसद हैं और वहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि पीएम मोदी की जीत के पीछे कहीं ना कहीं सोशल मीडिया पर बनाई गई उनकी छवि का हाथ होता है और इसी वजह से पीएम मोदी अपनी उस छवि को बिगडता नही देख सकते. मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक ऐसी वीडियो वायरल हुई जिसमें बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा नारी शक्ति पर मीडिया से बात कर रहे थे और एम जे अकबर के बारे में उनसे सवाल पूछते ही वह वहां से उठ कर चले गए. पार्टी और सरकार दोनों को ही एम जे अकबर पर लगे आरोपों के कारण काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था.
बता दें कि अकबर से किनारा कर लेना भी अब सरकार के लिए संभव नहीं था क्योंकि कोर्ट में ये साफ जाहिर हो चुका है कि अकबर करीब २० महिलाओं पर दबाव बना रहे थे.
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