पटाखों के शोर में नहीं सुनी ट्रेन के हॉर्न की आवाज़, हो गई मौत
इस साल का दशहर पूरे देश को गमगीन कर गया। शुक्रवार को अमृतसर में दशहरे के जश्न में डूबे लोगों को ये पता भी नहीं था कि आज रावण के दहन के साथ उनकी मौत भी उनका इंतजार कर रही है। एक झटके में विजयादशमी की खुशियां मातम में बदल गईं। नेशनल हाईवे से कुछ दूरी पर जौड़ा फाटक के पास बस्ती की तरफ लोग पैदल जा रहे थे। इनमें महिलाएं, पुरुष और बच्चे सभी शामिल थे।
कल शाम दश्हारे के दिन अमृतसर में एक ऐसा ट्रेन हादसा हुआ जिसने त्योहारों के इस मौसम में ऐसा गम दिया जो जिंदगीभर भूला नहीं जा सकता। पटरी पर किसी मासूम की सैंडल पड़ी थी तो कहीं चप्पल। लोग अपने रिश्तेदारों की तस्वीरें लेकर ट्रैक पर पागलों की तरह उन्हें ढूंढ रहे थे। पूरे ट्रैक पर जैसे कुछ ही सैकेंडों में चीख-पुकार मच गई। पटरी पर कई महिलाएं मोबाइल की रोशनी में अपने लाडलों को तलाश करने आईं थीं। घटनास्थल पर 100 से 150 मीटर के दायरे में 50 से भी ज्यादा लाशें बिछ गई थीं।
एकसाथ आईं दो ट्रेन
इस हादसे को अपनी आंखों से देखने वाले एक चश्मदीद ने बताया कि हादसे से पहले ही जौडा फाटक से दो ट्रेनें गुजरी थीं और तब लोग ट्रैक से हट गए थे। इसके बाद रावण के पुतले का दहन हुआ और डेमू ट्रेन 74943 आई। पटाखों की आवाज़ में लोगों को ट्रेन के हॉर्न की आवाज़ नहीं आई और उन्हें बचने का मौका नहीं मिल पाया। रेलवे के इतिहास में ऐसा दर्दनाक हादसा कभी नहीं देखा गया है।
इसका मतलब है कि हादसे से पहले जब एक ट्रेन आई थी तो लोग वहां से हट गए थे लेकिन जब उसी ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आई तो पटाखों की आवाज़ में उन्हें समय ही नहीं मिला और वो सब ट्रेन की चपेट में आ गए।
पहले की ट्रेनों की धीमी थी रफ्तार
हादसे के दौरान मौजूद लोगों ने बताया कि घटना से पहले जो ट्रेनें गईं थीं उनकी गति धीमी थी जबकि लोगों जान लेने वाली रेल ने अपनी स्पीड कम नहीं की। जालंधर से आ रही ट्रेन के हॉर्न की आवाज़ पटाखों के शोर में दब गई।
जिस जगह पर ये भयानक हादसा हुआ है वहां पर 20 से भी ज्यादा सालों से रावण दहन होता आ रहा है। यहां रेलवे पटरियों से 50 मीटर की दूरी पर जौडा फाटक पर एक खाली मैदान है जहां पिछले 20 सालों से रावण का पुतला जलाया जाता रहा है।
इस रेल हादसे में 60 लोगों की मौत हुई है और कई लोग घायल हुए हैं जबकि घायल लोगों में से 7 की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। कई मृतकों की पहचान तो अभी तक नहीं हो पाई है।
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