हादसे से बचने के लिए ट्रेन को कितने मीटर पहले ब्रेक लगाना होता है ?

कल देशभर में लोग दशहरे के जश्‍न में डूबे हुए थें। वैसे तो इस हिंदू पर्व को बुराई पर अच्‍छाई की जीत के उपलक्ष्‍य में मनाया जाता है लेकिन कल अमृतसर में जो कुछ भी हुआ उसे देखकर तो यही लगता है कि आज कलियुग में बुराई को जीतने के लिए किसी की मदद की जरूरत नहीं पड़ती है।

कल शाम अमृतसर में दशहरे मना रहे दर्जन लोग ट्रेन की चपेट में आ गए। इस वजह से खुशी और त्‍योहार का माहौल मातम में बदल गया और ये सब होने में सिर्फ कुछ सेकेंड का समय लगा। आपको बता दें कि पंजाब के अमृतसर में लोग रावण दहन देखने आए थे और उसी दौरान ट्रेन ने उन्‍हें मौत के घाट उतार दिया। इस हादसे में 60 से भी ज्‍यादा लोगों की मौत हुई और दर्जन लोग बुरी तरह से घायल हुए।

भारत में रेल हादसों की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और इन्‍हें देखकर ज़हन में ये सवाल उठता है कि क्‍या इतनी दूर से भी भीड़ को देखकर ड्राइवर के दिमाग में एमेरजेंसी ब्रेक लगाने का ख्‍याल नहीं आया और अगर सच में नहीं आया तो इसकी क्‍या वजह थी?

क्‍या रेलवे में ऐसा कोई नियम नहीं बना है और अगर बना है तो वो क्‍या है? वहीं अगर ड्राइवर अचानक से ट्रेन रोकता है तो उसमें सवार हजार यात्रियों का क्‍या होता है?

आइए जानते हैं इन्‍हीं सब सवालों के जवाब –

625 मीटर की दूरी

डीएमयू यानि डीज़ल मल्‍टीपल यूनिट ट्रेन को रोकने के लिए ड्राइवर को कम से कम 625 मीटर की दूरी पर इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आगे रेलवे ट्रैक पर लोग खड़े हैं। अगर ड्राइवर एमेरजेंसी ब्रेक लगा देता है तो इससे भी बड़ा हादसा होने का खतरा रहता है। वहीं एक्‍सप्रेस, सुपर फास्‍ट ट्रेनों में ब्रेक लगाने की दूरी डीएमयू से ज्‍यादा होती है। इनके ड्राइवर को 640 मीटर की दूरी पर ही पता चल जाना चाहिए कि इन्‍हें ब्रेक लगाना है। इसे 900 मीटर के आसपास भी माना जा सकता है। ट्रेन जितनी ज्‍यादा स्‍पीड में चल रही होगी उसे रोकने के लिए उतनी ही ज्‍यादा दूरी पर ब्रेक लगाना होगा।

इमेरजेंसी ब्रेक के निर्देश

अगर रेलवे ट्रैक पर भीड़ हो तो ड्राइवर को रेल को रोकने के स्‍पष्‍ट निर्देश दिए जाते हैं लेकिन उसे ये बात भी याद रखनी होती है कि उस पर ट्रेन में बैठे हजारों पैसेंजर्स की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी है। अगर ट्रेन बहुत स्‍पीड में चल रही है और अचानक ब्रेक लगा दिया जाए तो इससे ट्रेन के डिरेल होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में ड्राइवर को ट्रेन की बनावट और यात्रियों की सुरक्षा को लेकर निर्णय लेना होता है।

ऐसे ट्रेन हादसों को रोकने का काम इसलिए भी मुश्किल होता है क्‍योंकि 600-650 मीटर की दूरी से भीड़ दिख पाना मुश्किल होता है और ऐसे में ड्राइवर को पता नहीं चल पाता है कि आगे ट्रैक पर लोग खड़े हैं। इस मामले में रेलवे ट्रैक स्‍ट्रेट है या कर्व, ये जानना भी जरूरी होता है।

 

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