राज्यपाल के पास कुमारस्वामी सरकार को बर्खास्त करने का अधिकार, डेडलाइन भी बढ़ा सकते हैं

आदित्या लोक, स्पेशल करोस्पोंडेंट:

बेंगलुरु. कर्नाटक के मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम में तीन किरदार हैं- मुख्यमंत्री, विधानसभा स्पीकर और राज्यपाल। राज्यपाल वजुभाई वाला ने मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को विश्वास मत हासिल करने के लिए दो डेडलाइन दी थीं। पहली दोपहर डेढ़ बजे और फिर शाम 6 बजे, लेकिन विधानसभा में फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ। संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने भास्कर को बताया कि दूसरी समय सीमा भी खत्म होने के बाद यह राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करता है कि वे कुमारस्वामी को फ्लोर टेस्ट कराने के लिए और वक्त दें या सीधे सरकार बर्खास्त करने का फैसला करें।

राज्यपाल के अधिकार

  • संविधान का अनुच्छेद 175 (2) कहता है कि राज्यपाल के पास सदन को संदेश भेजने का अधिकार होता है। ऐसा ही इस बार कर्नाटक के मामले में हुआ है।
  • राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के निर्देश देने का भी अधिकार है। अगर मुख्यमंत्री इसके लिए सदन की बैठक बुलाने में आनाकानी करे तो राज्यपाल के पास कार्रवाई का अधिकार है।
  • अगर मुख्यमंत्री बहुमत खो देता है तो वह खुद ही इस्तीफा दे देता है। अगर वह इस्तीफा न दे तो राज्यपाल के पास उसे पद से हटाने और दूसरे दल को सरकार बनाने का न्योता देने का अधिकार होता है।
  • राज्यपाल के पास एक और अधिकार यह होता है कि वे राज्य में संवैधानिक व्यवस्था विफल हो जाने के आधार पर अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश कर सकते हैं। यह बात कर्नाटक के मौजूदा मामले में फिलहाल लागू होती नहीं दिखती।

कर्नाटक का मामला पेचीदा
संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक राज्यपाल राज्य सरकार को तभी बर्खास्त कर सकते हैं, जब विधानसभा में अल्पमत की बात साबित हो चुकी हो। कर्नाटक में मामला पेचीदा इसलिए है क्योंकि सदन में विश्वास मत पर चर्चा शुरू हो चुकी है और सिर्फ मत विभाजन में देरी हो रही है। मत विभाजन स्पीकर का अधिकार क्षेत्र है। संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप कहते हैं कि अनुच्छेद 164 के तहत राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करते हैं और मुख्यमंत्री की सिफारिश पर मंत्रिमंडल का गठन होता है। अगर कुमारस्वामी राज्यपाल की बात नहीं मानते हैं, तो राज्यपाल चाहें तो उनसे इस्तीफा ले सकते हैं या फिर मंत्रिमंडल बर्खास्त कर सकते हैं।

अगर फ्लोर टेस्ट नहीं होता है तो क्या सरकार गिर सकती है?
सुभाष कश्यप बताते हैं कि यह राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करता है कि वे कुमारस्वामी को फ्लोर टेस्ट कराने के लिए और वक्त दें या सीधे सरकार बर्खास्त करने का फैसला करें। राज्यपाल के पास दूसरा विकल्प यह भी है कि अगर उन्हें लगता है कि कुमारस्वामी के पास बहुमत नहीं है तो वे किसी दूसरे ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त कर सकते हैं जिसे बहुमत मिल सकता है। ऐसे में दूसरा मुख्यमंत्री कांग्रेस-जेडीएस से भी हो सकता है या भाजपा से भी हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- स्पीकर राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते
2016 में सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल के राजनीतिक संकट के मामले में स्पष्ट किया था कि राज्यपाल और स्पीकर, दो स्वतंत्र संवैधानिक जिम्मेदारी वाले पद हैं। राज्यपाल स्पीकर के गाइड या मेंटर नहीं बन सकते। जब तक विधानसभा में लोकतांत्रिक तरीके से कार्यवाही चल रही हो, तब तक राज्यपाल के कहने पर कोई दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए। राज्यपाल को किसी भी राजनीतिक विवाद में नहीं पड़ना चाहिए। उन्हें राजनीतिक दलों के बीच असहमति, मतभेद, असंतोष या कलह से दूर रहना चाहिए।



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Karnataka Governor Vajubhai has right to dismiss the Kumaraswamy Government

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