मोदी ने कहा- रूस के सुदूर पूर्व के लिए भारत 72 हजार करोड़ देगा, पहली बार किसी देश के क्षेत्र विशेष को मदद

आदित्या लोक, स्पेशल करोस्पोंडेंट:

मॉस्को. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम(ईईएफ) में हिस्सा लेने दो दिन के दौरे पर व्लादिवोस्तोक (रूस) पहुंचे हैं। गुरुवार को उन्होंने फोरम में कहा कि भारत सुदूर पूर्व के विकास के लिए एक बिलियन डॉलर (करीब 72 हजार करोड़ रुपए) देगा। भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी आर्थिक कूटनीति के नए आयाम स्थापित करेगी।

इससे पहले मोदी नेजापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे से मुलाकात की। बीते दो महीने में मोदी दो बार ओसाका, जापान (28-29 जून, जी-20 समिट) और बियारिट्ज, फ्रांस (26 अगस्त, जी-7 समिट) में आबे से मिल चुके हैं।

'हमारे प्रयास मानवजाति का कल्याण करेंगे'
मोदी ने कहा, ''इस महत्वपूर्ण अवसर को महत्वपू्र्ण बनाने के लिए पुतिन के न्योते का मैं आभारी हूं। उन्होंने यह आमंत्रण लोकसभा चुनाव के पहले ही दे दिया था। मुझे पूरा विश्वास है कि आज का हमारा मंथन केवल फॉरेस्ट ही नहीं बल्कि पूरी मानवजाति के कल्याण के प्रयासों को नई गति देगा।''

''राष्ट्रपति पुतिन ने कुछ समय पहले मुझे सेंट पीटर्सबर्ग कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया था। रूस का करीब तीन चौथाई भूभाग एशिया है। इस क्षेत्र का आकार भारत से करीब दो गुना है। इसकी आबादी सिर्फ 60 लाख है। लेकिन यह रीजन खनिज, ऑयल-गैस जैसे प्राकृतिक संसाधनों का धनी है। यहां के लोगों ने अपने साहस और इनोवेशन से नेचर की चुनौतियों पर विजय पाई है। इसके अलावा स्पोर्ट्स, इंडस्ट्री, कला-संस्कृति ऐसा कोई वर्ग नहीं है, जहां रूस के व्लादिवोस्तोक के लोगों ने काम नहीं किया।''

'भारत और फार ईस्ट का रिश्ता बहुत पुराना'
मोदी ने कहा- कला, विज्ञान, साहित्य, स्पोर्ट्स, एडवेंचर मानव गतिविधियों का कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें व्लादिवोस्तोक के लोगों ने सफलता हासिल न की हो। इन लोगों ने रूस और उनके लोगों के लिए अनेक अवसर बनाए हैं। फ्रोजन लैंड को एक सुनहरा आधार तैयार किया है। पुतिन के साथ मैंने स्ट्रीट ऑफ द फार ईस्ट एनुएशन देखा। यहां के लोगों की विविधता और टेक्नोलॉजी के विकास ने मुझे बहुत प्रभावित किया है।

''भारत और फार ईस्ट का रिश्ता बहुत पुराना है। भारत पहला देश है, जिसने व्लादिवोस्तोक में अपना काउंसलेट खोला। सोवियत संघ के समय भी, जब अन्य विदेशियों पर यहां आने पर पाबंदियां थीं, व्लादिवोस्तोक भारतीयों के लिए खुला था। इस भागीदारी का पेड़ अपनी जड़ें गहरी कर रहा है। भारत ने यहां एनर्जी सेक्टर और दूसरे नेचुरल रिसोर्सेज जैसे डायमंड में महत्वपूर्ण निवेश किया है।''

''राष्ट्रपति पुतिन का फार ईस्ट के लिए लगाव भारत जैसे साथी के लिए महत्वपूर्ण अवसर लेकर आया है। उन्होंने निवेश के रास्ते खोले और सामाजिक विकास पर भी ध्यान दिया। भारत उनकी इस दूरदर्शी यात्रा में कदम से कदम मिलाकर रूस के साथ चलना चाहता है। फार ईस्ट और व्लादिवोस्तोक के समावेशी विकास के लिए पुतिन का विजन जरूर कामयाब होगा। इस विजन के पीछे यहां के मूल्यवान संसाधनों और यहां के लोगों की अभूतपूर्व प्रतिभा है। भारत में भी हम सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र के साथ नए भारत के निर्माण में जुटे हैं। 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं।भारत और रूस का साथ एक और एक ग्यारह बनाने का खास मौका है।''

'फार ईस्ट के 11 गवर्नर भारत आएं'
मोदी ने कहा- मैं फार ईस्ट के सभी 11 गवर्नर्स को भारत आने का न्योता देता हूं। मैंने और पुतिन ने भारत-रूस संबंधों के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखे हैं। इंडो पैसिफिक रीजन में हम सहयोग का नया दौर शुरू करने वाले हैं। जब चेन्नई और व्लादिस्वोस्तोक के बीच शिप चलेंगे, तब भारत और रूस की भागीदारी और बढ़ेगी।

जापान से कई मुद्दों पर चर्चा हुई

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया, ''मोदी और आबे के बीच आर्थिक, सुरक्षा, रक्षा, स्टार्ट अप और 5जी जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।'' दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय हालात पर भी विचार साझा किए। विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि जापान-भारत की सालाना बैठक दिसंबर में दिल्ली में हो सकती है। तारीखों का ऐलान बाद में होगा। इसके बाद मोदी ने मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद और मंगोलिया के राष्ट्रपति खाल्तमागिन बतुल्गा से भी मुलाकात की।

जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया
गोखले ने बताया, ''मोदी ने महातिर मोहम्मद के सामने विवादित मुस्लिम धर्मगुरु जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण का मुद्दा भी उठाया। यह भी तय किया गया कि दोनों देश के अफसर इस मसले पर आपस में संपर्क में रहेंगे। दोनों नेताओं ने भारत-मलेशिया के बीच पहली 2+2 बैठक पर सहमति जताई। इसमें दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्री मुलाकात करेंगे।''

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