हैदराबाद में 1 करोड़ से बनी भगवान गणेश की 61 फीट ऊंची और 50 टन वजनी मूर्ति

आदित्या लोक, स्पेशल करोस्पोंडेंट:

शशिकांत साल्वी. सोमवार से गणेशोत्सव शुरू हो रहा है। हैदराबाद के खैरताबाद में गणपति की 61 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की जाएगी।करीब 1 करोड़ रुपए की लागत से बनी यह मूर्ति 12 मुखी है। इसे श्री द्वादशादित्य महागणपति नाम दिया गया है। यहां 1954 से लगातार हर साल गणेशजी की विशाल मूर्ति स्थापित की जाती है। गणेश उत्सव के दौरान यहां स्थापित की जाने वाली मूर्ति देशभर में सबसे ऊंची होती है।

सी. राजेंद्रन, वेंकट गुव्वाला और उनकी टीम के 150 सदस्यों ने हैदराबाद में यह मूर्ति बनाई। इसे बनाने की शुरुआत मई में हुई। इसमें तीन महीने से ज्यादा समय लगा। इसका वजन करीब 50 टन है। इसे पीओपी की मदद से बनाया गया है। यह देश की सबसे ऊंची बारह मुखी गणेश प्रतिमा है, जो गणेश उत्सव के दौरान स्थापित की जाएगी। इस साल गणेशजी की मूर्ति सूर्यदेव के 12 स्वरूपों से प्रेरित है।

1954 से हर साल गणेश उत्सव मना रहे
खैरताबाद गणेश उत्सव समिति के ज्वाइंट सेक्रेटरी संदीप राज के अनुसार, उत्सव समिति का गठन 1954 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एस. शंकरय्या ने किया था। तब से हर साल यहां गणेश की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है। एस. शंकरय्या के बाद उनके भाई एस. सुदर्शन के साथ एस. राजकुमार और उनका परिवार गणेश उत्सव का आयोजन करता है। अब तक यहां स्थापित की गई मूर्तियों की औसत ऊंचाई 60 फीट रही है। गणेश उत्सव के दौरान इतनी ऊंची प्रतिमा कहीं और विराजमाननहीं की जाती।

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रोज 2 से 4 टन फूलों की माला चढ़ेगी
इस भव्य गणेश मूर्ति पर हर रोज चढ़ाई जाने वाली फूलमाला का वजन लगभग 2 से 4 टन तक होगा। माला बनाने में कई तरह के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। यहां 10 दिनों तक कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।

70 हजार से ज्यादा भक्त रोज दर्शन करते हैं
गणेशजी की मूर्ति खुले स्थान और ऊंचे मंच पर विराजित की जाती है। मंच की ऊंचाई 65 फीट और चौड़ाई करीब 30 फीट है। संदीप राज बताते हैं कि पिछले साल गणेश उत्सव में यहां भगवान के दर्शन के लिए रोज करीब 70 हजार से ज्यादा भक्त आए थे। इस साल यह आंकड़ा बढ़ सकता है। भक्तों के चढ़ाए दान से ही यहां गणेश उत्सव मनाया जाता है। पिछले साल भक्तों ने यहां की दान पेटी में करीब 70 लाख रुपए चढ़ाए थे। भक्तों के लिए 24 घंटे दर्शन की व्यवस्था रहती है। किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए समिति के 200 से ज्यादा सदस्य व्यवस्था और सुरक्षा में लगे रहते हैं।

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क्रेन की मदद से किया जाता है विसर्जन
गणेशजी की विशाल मूर्ति का विसर्जन यहां की हुसैन सागर झील में किया जाता है। इसके लिए क्रैन की मदद ली जाती है। उत्सव के अंतिम दिन जुलूस निकाला जाता है,जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं।

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