2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का सपना तो दूर, इस साल का लक्ष्य ही मुश्किल

आदित्या लोक, स्पेशल करोस्पोंडेंट:

नई दिल्ली (धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया).साढ़े छह साल में अर्थव्यवस्था की विकास दर सबसे निचले स्तर पर है। दूसरी तरफ रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने मानसून के असमान रहने से खरीफ सीजन में उत्पादन बीते वर्ष की तुलना में तीन से पांच फीसदी घटने का अनुमान लगाया है।

हालांकि क्रिसिल की एग्रीकल्चर रिपोर्ट 2019 में रबी सीजन में मानसून का फायदा मिलने की बात अवश्य कही गई है। ऐसे में हमारी 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने का सपना तो दूर इस साल की आरबीआई द्वारा अनुमानित 6.9 फीसदी की ग्रोथ रेट पाना ही मुश्किल दिख रहा है।

'सरकार मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन पर जोर दे'
दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स के प्रोफेसर राम सिंह बताते हैं कि सरकार ने बैंकों को रीकैपिटलाइज्ड फंड देने, आरबीआई से 1.76 लाख करोड़ मिलने, ब्याज दरों में कमी, आसान लोन उपलब्धता जैसे कुछ कदम उठाए हैं। लेकिन अब सरकार को मुख्यरूप से मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। सरकार को निजी कंस्ट्रक्शन को भी प्रोत्साहन देना होगा क्योंकि सात-आठ फीसदी रहने वाली ग्रोथ रेट तीन फीसदी रह गई है।

वहीं नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार कहते हैं कि सरकार ने हाल ही में जितने कदम अभी उठाए हैं उससे पूरी उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था में क्रेडिट फ्लो बढ़ेगा (नया पैसा आएगा)।इससे मांग में बढ़ोतरी भी होगी। जिससे आने वाली छमाही (अक्टूबर से मार्च तक) में अर्थव्यवस्था में बढ़त की उम्मीद कर सकते हैं।


जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर और अर्थशास्त्री अरुण कुमार के मुताबिक जिस तरह से एफएमसीजी, ऑटो और टेक्सटाइल क्षेत्र में गिरावट दर्ज की जा रही है, इन स्थितियों को देखते हुए दूसरी तिमाही के आंकड़े पांच फीसदी भी आना मुश्किल दिख रहा है। ऐसे में वित्त वर्ष 2019-20 में आरबीआई के अनुमान के अनुसार 6.9 फीसदी जीडीपी ग्रोथ पाना मुश्किल है।

प्रो. अरुण के मुताबिक-सरकार ने जो जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ा दिया है उसमें असंगठित क्षेत्र के आंकड़े शामिल नहीं हैं। अगर इनको भी शामिल कर लिया जाए तो मौजूदा पांच फीसदी ग्रोथ का आंकड़ा ही काफी नीचे आ जाएगा। पहले नोटबंदी, जीएसटी के कारण इस क्षेत्र को नुकसान हुआ और फिर एनबीएफसी क्राइसिस के कारण इस क्षेत्र को फंड की समस्या हुई।

'असंगठित क्षेत्र में गिरावट का असर संगठित क्षेत्र पर पड़ रहा'

प्रोफेसर कुमार कहते हैं कि जीडीपी में असंगठित क्षेत्र का योगदान करीब 45 फीसदी है और 80 फीसदी से ज्यादा रोजगार देता है। इस क्षेत्र में गिरावट का असर संगठित क्षेत्र पर भी पड़ा है। सरकार ने हाल में बैंक रेट कम करने, बैंकिंग रिफॉर्म और फंड देने की जो घोषणाएं की है वह संगठित क्षेत्र के लिए ही की है। ऐसे में सरकार को असंगठित क्षेत्र की मदद करनी चाहिए। किसानों की आमदनी बढ़ाने, ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं और रोजगार बढ़ाकर सरकार अर्थव्यवस्था को ठीक कर सकती है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणाएं और केंद्र सरकार के द्वारा उपायों का असर तीसरी और चौथी तिमाही में मिल सकता है।

केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि निजी क्षेत्र में पूंजी प्रवाह बढ़ने और मांग में तेजी से तीसरी और चौथी तिमाही यानी अक्टूबर से मार्च तक अर्थव्यवस्था में तेजी की उम्मीद की जा सकती है। वहीं क्रिसिल के चीफ इकोनाॅमिस्ट धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि अगस्त महीने में देश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हुई है। जिसके कारण धान आदि फसलें प्रभावित हुई हैं। लेकिन ग्राउंडवाटर लेवल बढ़ने से रबी सीजन बेहतर रहने का अनुमान है।

विकास दर बढ़ाने के लिए ये 6 उपाय जरूरी

इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाना:सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष तौर पर खर्च करना होगा रोड्स, रेल्वे, ग्रामीण क्षेत्रों में रोड्स, सिंचाई परियोजनाओं के लिए पैसा लगाना होगा जिससे न सिर्फ डिमांड बढ़ेगी बल्कि नए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। निजी क्षेत्र को बढ़ावा देना होगा। वर्तमान में करीब 7 करोड़ रु. इस पर खर्च हो रहे हैं। बजट भाषण में 100 लाख करोड़ रु. अगले पांच वर्ष में खर्च करने का ऐलान किया है।

असंगठित क्षेत्र को सस्ता लोन:देश की जीडीपी में करीब 45 फीसदी योगदान देने वाले असंगठित क्षेत्र को सस्ती दर पर ऋण मुहैया करना जिससे उनकी लागत कम आए। वर्तमान में एनबीएफसी क्राइसिस के कारण इस क्षेत्र को ऋण मिलने में मुश्किल आई है, जिसके कारण पूंजी प्रवाह बाधित हुआ। सरकार की मौजूदा घोषणाओं में भी इस क्षेत्र पर अधिक ध्यान नहीं है। जबकि करीब 80% से ज्यादा रोजगार यही क्षेत्र दे रहा है।

ग्रामीण क्षेत्र में निवेश बढ़ाना:किसानों को किसान सम्मान राशि का समय पर भुगतान करना, अासान कृषि लोन, कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाना चाहिएं। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के बुनियादी विकास के लिए भी निवेश बढ़ाना। जिससे रोजगार और ग्रामीण मांग बढ़ाने में मदद मिले।

निर्यात को प्रोत्साहन:2018-19 के दौरान निर्यात में बढ़ोतरी 9.06% रही। 331 अरब डॉलर का निर्यात किया गया। इंजीनियरिंग गुड्स, टेक्सटाइल प्रोडक्ट, केमिकल्स की निर्यात ग्रोथ बढ़ी है। निर्यात क्षेत्र में बढ़ोतरी के लिए सरकार को एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देना होगा। इसके साथ ही सरकार को अपनी पॉलिसी में रिफॉर्म्स करने होंगे। ऑटो, टेक्सटाइल, एफएमसीजी जैसे क्षेत्रों में मांग बढ़ानी होगी।

रियल एस्टेट को प्रोत्साहन:सरकार को रोजगार देने वाले प्रमुख क्षेत्र रियल एस्टेट क्षेत्र के फंसे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए रीफाइनेंस की सुविधा मुहैया कराना चाहिए। प्रो. राम सिंह के मुताबिक इस क्षेत्र में सरकार को एफडीआई को भी अनुमति प्रदान करना चाहिए।

इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड:सरकार को एमएसएमई और एक्सपोर्टर को जीएसटी के रुके इनपुट टैक्स क्रेडिट का रिफंड तुरंत मुहैया कराना चाहिए ताकि कारोबार आसानी से चलता रहे। अभी तकनीकी कारणों से रिफंड मिलने में तीन महीने तक का समय लग रहा है।



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प्रतीकात्मक फोटो।

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