कभी 8% वोट शेयर वाली पार्टी का पीएम बन गया, कभी 39% वोट मिलने के बाद भी नहीं बनी सरकार

आदित्या लोक, स्पेशल करोस्पोंडेंट:

नई दिल्ली. पिछले 16 लोकसभा चुनाव में कई बार ऐसे मौके आए, जब ज्यादा वोट शेयर हासिल करने वाली पार्टी सत्ता से बाहर रही। 1989 और 1996 के लोकसभा चुनाव इसके सबसे बड़े उदाहरण रहे। 1989 में 39.5% वोट शेयर वाली कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका नहीं मिला और 17.8% वोट हासिल करने वाली जनता दल के नेतृत्व में सरकार बनी। वहीं, 1996 में भी महज 8% वोट हासिल करने वाली जनता दल की अगुआई में संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी, जबकि 20% वोट शेयर वाली भाजपा बहुमत नहीं जुटा पाई और अटल बिहारी वाजपेयी को 13 दिन में इस्तीफा देना पड़ा।

ज्यादा वोट शेयर के बाद भी 4 बार सत्ता से बाहर रही कांग्रेस, कम वोट शेयर के बावजूद 3 बार भाजपा ने सरकार बनाई, 2 बार चलाई

  • 1989 में जनता दल की सरकार बनी, जबकि कांग्रेस के मुकाबले उसका वोट प्रतिशत 21.7% कम था। जनता दल के पास कांग्रेस से 54 सीटें कम थीं। जनता दल के नेता वीपी सिंह ने कांग्रेस के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट कर नेशनल फ्रंट का नेतृत्व किया। वे ही प्रधानमंत्री चुने गए। भाजपा और लेफ्ट ने उन्हें समर्थन दिया।
  • 1996 में एक बार फिर जनता दल ने संयुक्त मोर्चा सरकार का नेतृत्व किया। जनता दल को कांग्रेस से 20.7% वोट शेयर कम मिले थे। इस चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से 8.5% कम वोट हासिल करने के बावजूद 21 सीटें ज्यादा जीतीं थीं और अटल बिहारी के नेतृत्व में उसने सरकार भी बनाई थी। लेकिन यह सरकार महज 13 दिन चली। इसके बाद जनता दल (46 सीटें) जो यूनाइटेड फ्रंट (130 सीटें) का हिस्सा था, उसने कांग्रेस और लेफ्ट के समर्थन से सरकार बनाई।
  • 1998 में भाजपा ने कांग्रेस से 0.2% वोट कम होने के बावजूद 41 सीटें ज्यादा जीतीं। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 256 सीटें मिलीं। अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। हालांकि इस बार भी अटल सरकार महज 13 महीने में ही गिर गई।
  • 1999 में भाजपा ने एक बार फिर कांग्रेस से कम वोट शेयर होने के बावजूद सरकार बनाई। भाजपा को कांग्रेस के मुकाबले 4.5% वोट कम हासिल हुए, लेकिन 68 सीटें ज्यादा मिलीं। एनडीए को पूर्ण बहुमत (299) हासिल हुआ और अटल सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया।

35 साल में कांग्रेस की 371 सीटें घटीं, भाजपा की 280 बढ़ीं

  • इमरजेंसी के पहले 1971 और बाद में 1977 के चुनाव में कांग्रेस के वोट शेयर में आजादी के बाद का सबसे बड़ा अंतर आया। कांग्रेस का वोट शेयर 9.2% घटा। कांग्रेस की 198 सीटें कम हो गईं। इंदिरा गांधी को सत्ता गंवानी पड़ी और जनता पार्टी (295 सीटें) के नेता मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री चुने गए।
  • 1980 के चुनाव में कांग्रेस के वोट शेयर में 8.2% की बढ़ोतरी हुई और सीटों की संख्या में 199 का इजाफा हुआ। 353 सीटों के साथ कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में लौटी।
  • इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 के चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 5.4 फीसदी और बढ़ा। कांग्रेस की 62 सीटें बढ़ गईं। 415 सीटों के साथ राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने।
  • 1989 में कांग्रेस की 197, 1991 में 244, 1996 में 140, 1998 में 141, 1999 में 114, 2004 में 145 सीटें आईं। 2009 में कांग्रेस की सीटें बढ़कर 206 हो गईं, लेकिन 2014 में घटकर 44 हो गई।
  • वहीं, भाजपा ने 1984 में 2 सीटें से शुरुआत की थी। 1989 में उसे 85, 1991 में 120, 1996 में 161, 1998 में 182, 1999 में 182 सीटें मिलीं। भाजपा की सीटें 2004 में घटकर 138 और 2009 में 116 हो गईं। 2014 में उसे सबसे ज्यादा 282 सीटें मिलीं।
  • इस तरह 35 साल में भाजपा का वोट शेयर 24% बढ़ा और सीटों की संख्या में 280 का इजाफा हुआ। कांग्रेस का वोट शेयर 28.5% घटा और सीटों में 371 की कमी आई।

लोकसभा चुनाव

कांग्रेस वोट शेयर (सीटें)

बीजेपी वोट शेयर (सीटें)

किसकी सरकार बनी

1971

43.7 (352)

-

कांग्रेस

1977

34.5 (154)

-

जनता पार्टी

1980

42.7 (353)

-

कांग्रेस

1984

48.1 (415)

7.4 (02)

कांग्रेस

1989

39.5 (197)

11.4 (85)

जनता दल

1991

36.4 (244)

20.1 (120)

कांग्रेस

1996

28.8 (140)

20.3 (161)

बीजेपी

1998

25.8 (141)

25.6 (182)

बीजेपी

1999

28.3 (114)

23.8 (182)

बीजेपी

2004

26.5 (145)

22.2 (138)

कांग्रेस

2009

28.6 (206)

18.8 (116)

कांग्रेस

2014

19.6 (44)

31.4 (282)

बीजेपी



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