नागरिकता बिल पर गुस्सा, पर नदी कटाव का मुद्दा यहां भाजपा को बचा सकता है
आदित्या लोक, स्पेशल करोस्पोंडेंट:
नॉर्थ लखीमपुर/असम (राजेश माली). दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप माजुली। कुछ वर्षों पहले तक यह द्वीप सिमट रहा था क्योंकि चारों तरफ बहती नदियाें में यहां की जमीन समा रही थी, लेकिन भूमि कटाव रोकने के उपायों से अब हालात बदल रहे हैं। ब्रह्मपुत्र नदी की बाढ़ में कई गांव-घरों को डूबते देख चुके माजुली के मेडिकल स्टोर संचालक राजीव भियान को उम्मीद है- 'जमीन कटाव रोकने के काम से अब शायद इतना नुकसान नहीं हो।' ऊपरी असम में यह एक अहम मुद्दा है। लोकसभा की लखीमपुर, जोरहाट, डिब्रूगढ़ और कालियाबोर सीट इसी क्षेत्र में आती है। नदी तटों को मजबूत करने के लिए कई जगह चल रहे कामों का जिक्र कर भाजपा चुनाव में अपनी जमीन मजबूत करने में जुटी है।
इधर कांग्रेस नागरिकता संशोधन बिल (कैब) को उछाल रही है। इसे लेकर लोगों के गुस्से का डर भाजपा में दिखता भी है। अभी मौजूदा स्थिति की बात करें तो इन चार में से कालियाबोर को छोड़कर बाकी तीन सीटें भाजपा के पास हैं। हाई प्रोफाइल सीट कालियाबोर में कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगाई के पुत्र मौजूदा सांसद गौरव गोगाेई फिर मैदान में हैं। चारों सीटों पर प्रथम चरण में 11 अप्रैल को चुनाव होना है।
अरूणाचल से लगे नॉर्थ लखीमपुर में मुख्यमंत्री सोनोवाल की वजह से भाजपा को चिंता नहीं है। यहां से सांसद चुने जाने के बाद सोनोवाल मोदी सरकार में मंत्री भी रहे। जब मुख्यमंत्री बने तो इस्तीफे के बाद उपचुनाव में भाजपा के ही प्रधान बरुआ जीते। विधानसभा में जाने के लिए सोनोवाल ने अपने संसदीय क्षेत्र की माजुली को ही चुना। बाद में इसे जिला भी बना दिया। जनरल स्टोर के मालिक दुर्गा शर्मा कहते हैं 'पिछले सालों में सड़कें बनीं और नदी किनारों को मजबूत करने के काम भी हुए हैं। यही सबसे बड़ी समस्या थी।' एक पेड़ के नीचे टेबल-कुर्सी लगाकर पंचायत प्रतििनधियों के नियुक्ति पत्र बना रहे भाजपा के माजुली मंडल अध्यक्ष प्रफुल्ल पेगू कहते हैं 'हमें वोटरों काे काम बताने की जरूरत नहीं, वे सब जानते हैं।'
कांग्रेस के जिला अध्यक्ष जयप्रकाश दास इस पर पलटवार करते हुए कहते हैं- सबसे बड़ा मुद्दा तो 'कैब' है। मोदी ने कहा था बांग्लादेशियों को निकालेंगे, 'कैब' के माध्यम से तो अब वे बांग्लादेशियों को यहां ला रहे हैं। इसे असम का कोई नागरिक स्वीकार नहीं करेगा।' इस इलाके में चाय बागान बड़ी संख्या में हैं और यहां चुनाव में चाय जनजाति भी बड़ा फैक्टर है। नार्थ लखीमपुर से जोरहाट के सफर में हाईवे किनारे राजमाई टी गार्डन में सुपरवाइजर अनुभ भियान चुनाव के बारे में पूछने पर कहते हैं 'मोदी सरकार ने हमारे लिए काम किया है। घर-घर में सिलेंडर पहुंच गया है। बागानों के लोग उनके साथ हैं।'
जोरहाट के मौजूदा सांसद कामाख्या प्रसाद तासा भी चाय जनजाति से आते हैं। उनकी सक्रियता पर सवाल उठते रहे हैं। इसी वजह से पार्टी ने उन्हें इस बार मौका नहीं दिया। जोरहाट में मारवाड़ी बड़ी तादाद में हैं। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं कि उम्मीदवार कौन है। रात साढ़े 10 बजे काम खत्म होने के बाद व्यापारियों की एक टोली चंग (बड़ी ढपली) की थाप पर थिरकती दिखी। फाग के गीत गा रहे युवा कारोबारी सरवन मालानी पूछने पर सवाल दाग देते हैं- 'एयर स्ट्राइक के बाद और कोई सवाल
बचा है क्या?'
मुद्दों से लेकर सीटों के गणित तक...
जोरहाट : आहोम महत्वपूर्ण, दोनों उम्मीदवार इसी समुदाय से
मौजूदा सांसद : कामाख्या प्रसाद तासा (भाजपा)
इस बार भाजपा कामाख्या प्रसाद तासा का टिकट काटकर राज्य के ऊर्जा मंत्री तपन गोगोई को मैदान में उतार रही है। कांग्रेस ने सुशांत बोरगोहिन को उम्मीदवार बनाया है। दोनों आहोम समुदाय से आते हैं। यहां कुल वोटरों में आहोम और चाय जनजाति ही सबसे ज्यादा है। यहां की 10 विधानसभा सीटों में से 4 पर भाजपा, 4 पर कांग्रेस और दो सीटें अगप के पास हैं।
कालियाबोर : गोगाेई ही फैक्टर, नजर एआईयूडीएफ पर
मौजूदा सांसद : गौरव गोगोई (कांग्रेस)
छह चुनाव से यह सीट गोगाेई परिवार के पास है। यहां के 8 विधानसभा क्षेत्रों में से चार पर कांग्रेस, 3 पर एजीपी, दो पर भाजपा व एक पर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीफ) का कब्जा है। एआईयूडीएफ मजबूत उम्मीदवार उतारता है तो कांग्रेस को नुकसान संभव। 2014 के चुनाव में एआईयूडीएफ को 2,31,295 वोट मिले थे। तीसरा बडा वोट शेयर।
जोरहाट इसलिए भी अहम : जोरहाट की तिताबार सीट से पूर्व सीएम तरूण गोगोई विधायक हैं। विधानसभा अध्यक्ष हितेंद्र नाथ जोरहाट और नेता प्रतिपक्ष देबब्रत यहीं की नाजिरा सीट से विधायक हैं।
लखीमपुर : यह खुद सीएम का क्षेत्र... इसलिए भाजपा निश्चिंत
मौजूदा सांसद : प्रधान बरूआ (भाजपा)
यहां 1996 से 2009 तक पांच चुनाव में तीन मर्तबा कांग्रेस व दो बार अगप जीती। मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का क्षेत्र और अगप से गठबंधन के बाद भाजपा के लिए यहां मुश्किल नहीं दिखती है। इसके तहत विधानसभा की नौ में से 5 सीटें भाजपा व एक अगप को मिली थी। एआईयूडीएफ, कांग्रेस व निर्दलीय को एक-एक।
डिब्रूगढ़ : भाजपा को गठबंधन से फायदे की उम्मीद
मौजूदा सांसद : रामेश्वर तेली (भाजपा)
2014 में यह सीट भाजपा ने कांग्रेस से छीनी थी। 2016 में यहां भाजपा ने अपनी पकड़ और मजबूत कर ली और विधानसभा चुनाव में नौ में से आठ पर जीत दर्ज की। एक पर अगप जीती। भाजपा को अगप गठबंधन से फायदे की उम्मीद है। इस दृष्टि से कहा जा सकता है कि यहां भी भाजपा मजबूत स्थिति में दिखती है।
मुद्दा:'केब' हीसबसे असरदार
विकास और चाय जनजाति के लिए किए गए काम के आधार पर भाजपा मैदान में है। कांग्रेस के पास सिर्फ 'केब' है। इस क्षेत्र में भी 'केब' का विरोध हुआ था।
गठबंधन: भाजपा+अगप यहां एक साथ
भाजपा ने गठबंधन में कालियाबोर सीट असम गण परिषद (अगप) को दी है। असम में भाजपा का बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट से भी गठबंधन है। वहीं कांग्रेस राज्य में अकेले लड़ेगी।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
कोई टिप्पणी नहीं