पूर्वांचल में बिरादरी पहले, दल दूसरे नंबर पर और सबसे अंत में आते हैं मुद्दे

आदित्या लोक, स्पेशल करोस्पोंडेंट:

आजमगढ़ (धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया).आजमगढ़ के बीचों-बीच टूटी सड़क औरभीड़-भाड़ वाले कलेक्ट्रेट परिसर से लगा हुआ है लीडराबाद। राजनीतिक चिंतन का अहम अड्डा। छुटभैये नेता-कार्यकर्ता से लेकर शायर, शिक्षक, प्रोफेसर तक चाय की चुस्कियों के बीच चुनावी चर्चा में व्यस्त दिखे। चर्चा सपा-बसपा के गठबंधन से बनने वाले जातीय गठजोड़ और भाजपा के विकास-राष्ट्रीयता जैसे मुद्दों के नफा-नुकसान पर आधारित थी।


राहुल सांस्कृतयायन का गांव पन्दहा (चक्रपानपुर), कैफी आजमी का गांव मिंजवां, अमर सिंह का गांव तरवां, बाटला हाउस कांड के आरोपियों का गांव संजरपुर और अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम के गांव सराय मीर के कारण आजमगढ़ हमेशा से सुर्खियाें में रहा है। इन गांवों के युवा रोजगार नहीं होने से चिंतित तो दिखे लेकिन चुनाव की बात आने पर जातीय गणित समझाने लगते हैं। आजमगढ़, लालगंज, घोसी, बलिया, जौनपुर और मछलीशहर संसदीय क्षेत्र में जातिगत समीकरण ही जीत की गारंटी हैं। क्षेत्र के पिछड़े होने के बावजूद भी यहां बिरादरी फर्स्ट, दल सेकंड और मुद्दा लास्ट है। जातियों में गुंथी यहां की राजनीति में हर सवाल का जवाब जाति ही है। फिर चाहे रोजगार हो, आरक्षण हो, विकास या कोई अन्य मुद्दा हो।


आजमगढ़ 2014 के चुनावों के समय उस वक्त सुर्खियों में आया जब समाजवादी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने यहां से लड़ने का ऐलान किया। भाजपा की सुनामी में सपा इस इलाके में सिर्फ यही सीट जीत पाई थी। यह सीट यादव और मुसलमान बहुल है। ऐसे में सपा की संभावनाएं यहां मजबूत है।


सपा से यहां इस बार अखिलेश यादव या मैनपुरी के सांसद और लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव के लड़ने की चर्चा है। जबकि भाजपा के पास यहां सबसे मजबूत चेहरा पूर्व सांसद रमाकांत यादव हैं। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का चुनाव क्षेत्र रहे बलिया में सपा से चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को फिर से टिकट मिलने की संभावना है।


राजपूत-भूमिहार वोटों की बहुलता वाली सीट पर कांटे की टक्कर की संभावना है। लालगंज सीट पर बसपा मजबूत दिखती है, इसका आधार जातिगत वोट है। यहां सोनकर, यादव और जाटव वोट सर्वाधिक हैं। यहां कांग्रेस ने पंकज मोहन सोनकर को टिकट दिया है। जबकि भाजपा मौजूदा सांसद नीलम सोनकर पर ही दांव लगा सकती है। घोसी सीट पर भाजपा मुश्किल में फंसी है, मौजूदा सांसद हरिनारायण राजभर को फिर टिकट मिलने पर संशय है, यहां से योगी सरकार के मंत्री दारा सिंह चौहान को दावेदार माना जा रहा है, वे पिछली बार बसपा से प्रत्याशी थे।

यहां गठबंधन से माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी के चुनाव लड़ने की चर्चा भी है। यहां करीब दो लाख मुस्लिम वोट हैं। क्षेत्र की राजनीतिक के संबंध में बात करते हुए शिब्ली नेशनल कॉलेज के पॉलिटिकल साइंस विभाग के प्रमुख और प्रिंसिपल गयास असद खान कहते हैं कि यहां लोग तमाम मुद्दों की बात तो करते हैं लेकिन जिस दिन वोट देते हैं जाति को ही याद करते हैं। मुसलमान उस पार्टी के साथ जाएंगे, जो पार्टी भाजपा को हराएगी। प्रियंका के कारण मुसलमान जरूर आकर्षित होंगे।


सामाजिक कार्यकर्ता और अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश नारायण राय कहते हैं कि यहां 90% से अधिक सीमांत किसानों का क्षेत्र है इसलिए प्रदेश सरकार की कर्ज माफी और केंद्र सरकार की छह हजार रुपए प्रतिवर्ष देने की घोषणा का कुछ फायदा भाजपा को होगा। आजमगढ़ में मुलायम सिंह यादव बीते पांच साल में दो बार ही आए हैं। हालांकि पांच साल के दौरान कई विकास कार्य उन्होंने करवाए हैं। उनमें सठियांव में बंद चीनी मिल चालू कराई, अतरौलिया में 200 बैड का अस्पताल, कृषि विवि का कैंपस और नए कलेक्ट्रेट भवन का निर्माण शामिल है। हालांकि मुलायम सिंह द्वारा गोद लिए सांसद आदर्श गांव तमौली की स्थिति बदतर है। यादव बहुल 3636 आबादी वाले गांव में 32 प्रोजेक्ट की कार्ययोजना बनी थी लेकिन ज्यादातर पर कार्य नहीं हुआ।


भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष और बलिया संसदीय सीट के प्रभारी प्रेम प्रकाश बताते हैं कि विधानसभा में हम एक सीट जीते लेकिन तीन सीटों पर हमारी हार का अंतर दो से तीन हजार है। इसलिए हमें गठबंधन हल्के में नहीं ले सकता। मोदी-योगी के कार्य से एंटी इनकम्बेंसी जैसी स्थिति नहीं है। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे बना एक भी विवाद नहीं हुआ। एयरस्ट्राइक में जो दृढ़ता दिखाई उसका फायदा मिलेगा।

चुनाव का गणित क्या कहता है
गठबंधन की स्थिति

  • यूपी में बसपा-सपा-रालोद का गठबंधन है। आजमगढ़, बलिया से सपा तो लालगंज, घोसी, जौनपुर और मछली शहर बसपा के हिस्से में आई है। 2014 में लालगंज में सपा दूसरे नंबर पर थी बावजूद इसके गठबंधन में सीट बसपा को दी। भाजपा का यहां यूं तो अपना दल (एस) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन है। क्षेत्र में इन दलों का सीमित प्रभाव है

मुद्दे क्या हैं

  • पिछड़ापन, बेराजगारी और विकास सबसे बड़ा मुद्दा है। रोजगार के लिए पलायन, आवारा पशु, किसानों की बदहाली और अपराध भी मुद्दा है। किसानों की अधिक संख्या के कारण किसान सम्मान योजना की भी चर्चा। यहां जाति पार्टी और मुद्दों पर भारी है। आजमगढ़ में यूनिवर्सिटी का मुद्दा भी अहम था, आचार संहिता से पहले राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी।

जातिगत समीकरण

  • यादव, जाटव और मुसलमान वोटों की तादाद ज्यादा है। इस वोट को सपा-बसपा गठबंधन अपने साथ मानता है। वहीं भाजपा को गैर यादव के अलावा पटेल, राजभर और गैर जाटव अनुसूचित जातियों का सहारा है। हालांकि भाजपा यहां यादव और जाटव वोटों में सेंध की कोशिश में है। पटेल और राजभर वोटों के लिए भाजपा ने अपना दल (एस) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन किया है।

6 सीटें; 5 पर भाजपा और 1 पर सपा का सांसद

सीट सांसद पार्टी
आजमगढ़ मुलायम सिंह यादव सपा
लालगंज नीलम सोनकर भाजपा
घोसी हरिनारायण राजभर भाजपा
बलिया भारत सिंह भाजपा
जौनपुर कृष्ण प्रताप भाजपा
मछलीशहर राम चरित्र निषाद भाजपा



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
In the Purvanchal the fraternity first, the parties come to the second and the last ones

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.