भाजपा अम्मा की पार्टी के साथ, पर अम्मा का कोई विकल्प नहीं; करुणा की जगह भर रहे हैं स्टालिन
आदित्या लोक, स्पेशल करोस्पोंडेंट:
चेन्नई (अमित कुमार निरंजन).चेन्नई के मरीना बीच और इसके आसपास राजनीति का नजारा लगभग एक सा है। समुद्र में उठती ऊंची लहरों और पोस्टर में लगे नेताओं की फोटो से दोनों के कद का पता चलता है। यहां डीएमके (द्रमुक) के पोस्टर में स्टालिन विशालकाय दिखते हैं, जबकि दिवंगत करुणानिधि का फोटो छोटा सा लगा है। जो दिखाता है कि स्टालिन एक मजबूत चेहरे के रूप में उभर रहे हैं। वहीं,एआईएडीएमके (अन्नाद्रमुक) के पोस्टरों में जयललिता का कद अब भी सबसे बड़ा दिखता है। यह एक संदेश देने की कोशिश है कि हमारा चेहरा अभी भी 'अम्मा' ही है।चेन्नई की तीन और पुडुचेरी, कडलोर, कांचीपुरम, विल्लुपुरम व धर्मपुरी। इन आठ लोकसभा सीटों पर संघर्ष भी ऐसा ही दिखता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि शशिकला के भाई की पार्टी के भितरघात से बचने के लिए अन्नाद्रमुकने पोस्टर में अम्मा को ही चेहरा बनाए रखने की रणनीति को अपना रखा है। चेन्नई में द हिंदू के राजनीतिक संवाददाता डेनिस ने बताया कि तमिलनाडु में राजनीति चेहरों से ही चलती है। अन्नाद्रमुकमें ऐसा एक भी चेहरा नहीं है जो पोस्टर में भी अम्मा की जगह ले सके। उधर, बात जब मुद्दों पर आई तो राजनीतिक विश्लेषक डाॅ सुमंत सी रमन बोले-चेन्नई में बाढ़ तक को स्थानीय सरकार नहीं संभाल पाई थी। इसे लेकर चेन्नई अब तक सरकार से गुस्सा है। हालांकि, पिछले तीन महीनों में मंत्रियों ने काम में तेजी दिखाई है।
रजनीकांत खुद कोन्यूट्रल दिखाने की कोशिश में
चलिए चेहरों पर ही वापस लौटते हैं...। सुपरस्टार रजनीकांत जिनके एक इशारे पर तमिल कुछ भी कर सकते हैं, वे फिलहाल खुद को न्यूट्रल दिखाने की कोशिश में हैं। कमल हासन भी खुलासा नहीं कर रहे हैं कि वे दोनों गठबंधनों में से किस ओर खड़े हैं।फ्री लांस पत्रकार रामाजयम का कहना है कि यहां डबल एंटीइंकबेंसी है। लोगों को लगता है कि जयललिता के बाद सरकार सुस्त हो गई, वहीं मोदी के जीएसटी और नोटबंदी जैसे फैसलों से छोटे वर्ग ज्यादा प्रभावित हुए हैं। रामाजयम कहते हैं - अगर अन्नाद्रमुक अकेले चुनाव लड़ती तो शायद उसे ज्यादा फायदा हाेता।
सर्जिकल स्ट्राइक यहां तमाशा
सर्जिकल स्ट्राइक यहां तमाशे से ज्यादा कुछ नहीं है। हां...सवर्ण आरक्षण से अपर क्लास जरूर मोदी के पक्ष में होता दिख रहा है। लेकिन वनियर जैसे कई ओबीसी वर्ग इस फैसले से नाराज हैं। टीसीएस के पूर्व कर्मचारी टीएस रंगराजन जिन्होंने आपातकाल और द्रविड आंदाेलन काे करीब से देखा है, कहते हैं- मोदी को साथ जोड़ने से अन्नाद्रमुक का नुकसान और डीएमके का फायदा हुआ है। लोगों में तमिल बनाम हिन्दी का संदेश गया है, इसे लोग पसंद नहीं करते हैं। क्योंकि अन्नाद्रमुक और भाजपा गठबंधन में मोदी ने खुद को आगे दिखाया है वहीं द्रमुक और कांग्रेस के गठबंधन में स्टालिन आगे दिखते हैं, इसका फायदा द्रमुकको मिल सकता है।
मोदी की लोकप्रियता वोट में बदलने की चुनौती
मोदी 'मन की बात' में यहां के स्टार्टअप YOURSTORY का जिक्र कर चुके हैं। इस वेबसाइट को मोदी ने इसी साल जनवरी में इंटरव्यू भी दिया था। YOURSTORY के चेन्नई रीजन के मैनेजर तिरुपती ने बताया कि इंटरव्यू के बाद से हमें कई सकारात्मक कमेंट मिले। इससे जाहिर होता है कि युवाओं में मोदी लोकप्रिय हैं।हालांकि, लोकप्रियता वोट में कितनी बदलेगी, कह नहीं सकते। कडलोर के बिजनेसमेन घनश्याम बताते हैं कि यहां मुख्य धंधा ब्याज का है। नोटबंदी और जीएसटी ने इस धंधे की कमर तोड़कर रख दी थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ तमिलसाई सौदराजन से जब पूछा गया कि सर्जिकल स्ट्राइक को लोग तमाशा मान रहे हैं और केन्द्र की योजनाओं से भी प्रभावित नहीं है, तो फिर भाजपा किन मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी।...तमिलसाई पहले तो बात करने को तैयार थीं, पर सवाल सुनने के बाद उन्होंने व्यस्तता का हवाला दे दिया। वहीं डीएमके की विंग - लेबर प्रोग्रेसिव फेड के राष्ट्रीय महासचिव एम शालमूगम ने कहा-नोटबंदी और जीएसटी से यहां रोजगार बढ़ने की बजाए कम हो गया है।
मुद्दे: नोटबंदी, जीएसटी असरदार रहेंगे
सिर्फ पुड्डुचेरी को छोड़ दें तो बाकी दस सीटों पर बड़े मुद्दों का असर दिखेगा। जयललिता के निधन के बाद लोगों को लगता है सरकार का कंट्रोल खत्म हो रहा है। यहां नोटबंदी और जीएसटी असरदार रहेंगे। पुड्डुचेरी में मुख्यमंत्री वी. नारायण सामी की सादगी और सड़क चलते लोगों की समस्याएं सुलझाने की तरीका लोगों को पसंद है। किसान सम्मान, आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं यहां पहले से है। भाजपा की चर्चा सिर्फ किरन बेदी की वजह से है।
गठबंधन: शशिकला के भाई से नुकसान
शशिकला के भाई वी दिवाकरन ने अम्मा मक्कल मुन्नेतरा खजगम बनाई है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह अन्नाद्रमुक को 5-10% वोटों का नुकसान पहुंचाएगी। अन्नाद्रमुक में ऐसा कोई चेहरा नहीं है, जो इसकी भरपाई कर पाए। भाजपा+एआईएडीएमके+पीएमके साथ हैं। वहीं द्रमुक, कांग्रेस से मिलकर लड़ रही है।
समीकरण: जाति-धर्म यहां नहीं चलते
चेन्नई की तीनों सीटों- सेंट्रल, नार्थ और साउथ पर चुनाव जाति और धर्म के आधार पर नहीं लड़े जाते। नार्थ में कामगारों का वोट निर्णायक होगा। वहीं चेन्नई के सबसे विकसित क्षेत्र दक्षिण, जहां लोग ज्यादा पढ़े-लिखे हैं, वहां चूंकि अपर क्लास की संख्या ज्यादा है। ऐसे में माना जा रहा है कि सवर्ण आरक्षण यहां चल सकता है। चेन्नई सेन्ट्रल में मिडिल क्लास असरकार है। विल्लुपुरम में दलित गेमचेेंजर हो सकते हैं।
कास्ट फैक्टर: तमिलनाडु की दस सीटाें पर
- 60% ओबीसी वोट
- 15% सवर्णवोट
- 15% दलित वोट
- 10% अन्य वोट
(ओबीसी में पडाची समुदाय के 15%, नायडू के 10%, रेडियर के 10%, मुदलयार के 20% और वननियार समुदाय के करीब 30% वोट हैं)
पिछला नतीजा
- पुडुचेरी- एआईएनआरसी
- धर्मपुरी- पीएमके
- चेन्नई नॉर्थ, चेन्नई सेंट्रल, चेन्नई साउथ, कांचीपुरम, विल्लुपुरम, कंडलोर, कल्लारिची, चिड्डारम, श्रीपेरम्बदूर में अन्नाद्रमुक की जीत हुई थी।
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