एसबेस्टस की छत के नीचे रहने वाले ज्यादातर बच्चे अज्ञात बीमारी की चपेट में आए: रिपोर्ट
आदित्या लोक, स्पेशल करोस्पोंडेंट:
मुजफ्फरपुर (बिहार).मुजफ्फरपुर समेत बिहार में चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस से मरने वाले बच्चोंका आंकड़ा 178 से ज्यादा हो गया है, लेकिन विशेषज्ञ इसे अज्ञात बीमारी के तौर पर देख रहे हैं।लगातार हो रही बच्चाें की माैत के पीछे डॉक्टरों ने कुपोषण और जागरूकता की कमी के अलावा घरों में एसबेस्टस की छत को भी एक बड़ा कारण बताया है। एसबेस्टस की छत के नीचे रहने वाले अधिकतर बच्चे उमस भरी गर्मी की चपेट में आने के बाद बीमारी से पीड़ित हुए।
प्राेग्रेसिव मेडिकाे एंड साइंटिफिक फाेरम के अध्ययन के मुताबिक,दिल्ली एम्स औरपटना के सात डाॅक्टराें की टीम ने मुजफ्फरपुर जिले के कई गांवाें का भ्रमण कर माैतों की एक वजह एसबेस्टस की छत काे भी बताया है। टीम ने बतायाकि प्रभावित बच्चाें के घर की छत एसबेस्टस की हैं, जिससे ज्यादा उमस हाेती है। माैत के कारणाें काे लेकर इस पर भी रिसर्च किया जाना है।टीम मेंडॉ. हरजीत सिंह भट्टी, डॉ. अजय वर्मा, डॉ. एसके सिंह, डॉ. अमरनाथ यादव, डॉ. अमरनाथ राय, डॉ. चित्रांगदा सिंह, और डॉ. प्रिंस सागर शामिल थे।
एसकेएमसीएच की इमरजेंसी में महज चार डॉक्टर
- डाॅक्टराें ने यह भी बताया कि एसकेएमसीएच की इमरजेंसी में 500 मरीज राेज आते हैं। लेकिन, वहां महज 4 डाॅक्टर और 3 नर्स किसी तरह काम कर रहे हैं। मेडिकल से लेकर पीएचसी तक डाॅक्टर से लेकर स्वास्थ्य संसाधनाें की घाेर कमी है। एम्स के डाॅक्टर डाॅ. एके सिंह ने बताया कि डेढ़ सालसे 12 वर्ष के वैसे बच्चे इस बीमारी की चपेट में हैं, जाे गरीब परिवार से आते हैं। लीची काे लेकर उठ रहे सवाल पर जवाब देने से टीम ने इनकार कर दिया।
- टीम ने कहा कि पेयजल से लेकर सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है। इस संदर्भ में फाेरम राज्य सरकार, स्वास्थ्य विभाग के साथ प्रधानमंत्री तक काे रिपाेर्ट करेगा। डाॅक्टर कम संसाधनाें में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। लेकिन, संसाधनाें की कमी औरउचित प्राेटाेकाॅल नहीं हाेने से कुछ मामलाें में यह नाेट किया गया है कि हाइपाेग्लाइसीमिया का इलाज हाेने के बाद भी घर जाने के कुछ घंटाें बाद बच्चे की माैत हाे गई है।
कुपाेषण और जागरूकता की कमी भी बड़ा कारण
डाॅक्टराें ने बताया कि जागरूकता के अभाव में इस साल अधिक बच्चाें की माैत हुई। यह स्थानीय प्रशासन की विफलता है। फाेरम के नेशनल कन्वेनर डाॅ. हरजीत सिंह भट्टी ने कहा कि मुशहरी, मणिका, खाेरपट्टी विशुनपुर चांद गांव में भ्रमण कर मृत बच्चाें के माता-पिता से बात की। इनके पास राशन कार्ड नहीं है। अधिकांश बच्चे कुपाेषित थे।
जेई वैक्सीन से वंचित मिले ज्यादातर बच्चे
डाॅ. भट्टी ने बताया कि आशा व आंगनबाड़ी सेविकाएं काम कर रही हैं। पर, लाेगाें काे स्थानीय स्वास्थ्य प्रणाली पर विश्वास नहीं है। टीकाकरण की भी खराब स्थिति है। अधिकांश क्षेत्राें में जेई वैक्सीन से बच्चे वंचित हैं। यह भी बताया कि अधिकतर बच्चाें में रात से सुबह के बीच बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं। बता दें कि अभी तक इस अज्ञात बीमारी से 180 बच्चाें की माैत हाे चुकी है।
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