एम्स में तड़पती रही गर्भवती; डाॅक्टर बाेली- पहले से बुकिंग नहीं, सर्जरी नहीं करेंगे
आदित्या लोक, स्पेशल करोस्पोंडेंट:
नई दिल्ली (पवन कुमार).एम्स की इमरजेंसी में गायनेकाेलाॅजिस्ट महिला डाॅक्टर ने गंभीर हालत में लाई गई एक गर्भवती का महज इसलिए सिजेरियन करने से इनकार कर दिया, क्याेंकि उसकी पहले से बुकिंग नहीं थी। डाॅक्टर ने दाे टूक कहा कि वह सिर्फ मरीज की मौत पर ही ऑपरेशन कर सकती है। इसके करीब घंटेभर में महिला काे कार्डियक अरेस्ट हुआऔर गर्भ में ही बच्चे की माैत हाे गई। महिला अब भी आईसीयू में है।
8 जून की रात के इस घटनाक्रम की हकीकत महिला के परिजन नहीं जानते। हालांकि, इमरजेंसी केएक डाॅक्टर ने एम्स डायरेक्टर काे इसकी शिकायत की है। गाइनी डाॅक्टर के खिलाफ लिखित शिकायत में डायरेक्टर से जरूरी कार्रवाई की मांग की गई है, ताकि भविष्य में ऐसा न हाे। एम्स-प्रशासन ने चार डॉक्टरों की जांच कमेटी गठित कर 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है।
बिहार के पश्चिमी चंपारण की 28 वर्षीय किरण देवी को सांस लेने में तकलीफ पर 8 जून की रात करीब 11.15 बजे एम्स की इमरजेंसी में लाया गया। काॅर्डियाेलाॅजिस्ट ने चेकअप के बाद गायनेकाेलाॅजिस्ट डाॅक्टर काे बुलाने की सलाह दी। रात करीब साढ़े 12 बजे गायनेकाेलाॅजिस्ट को कॉल किया गया। करीब एक बजे सीनियर रेजिडेंट पहुंचीं। तब तक गर्भस्थ बच्चे की धड़कन चल रही थी। इमरजेंसी के डॉक्टरों ने कहा कि 32 सप्ताह की प्रेग्नेंसी है और बच्चा ठीक है।
उन्हाेंने सिजेरियन की सलाह देते हुए बिस्तर उपलब्ध करा दिया। लेकिन महिला डाॅक्टर ने कहा मरीज की पहले से एम्स में कोई बुकिंग नहीं है। बिना बुकिंग सीजेरियन नहीं कर सकते। आराेप है कि उन्हाेंने कहा- मरीज की मौत होने पर ही सर्जरी संभव है। रात करीब दो बजे गर्भवती काे कार्डियक अरेस्ट हुआ। बच्चे की धड़कन बंद हो गई। इसके बाद गायनेकाेलाॅजिस्ट चली गई।
जाने से पहले केस सीट पर लिखा- मरीज को मैंने दो बजे देखा। तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी। शिकायत में कहा गया है कि गायनेकाेलाॅजिस्ट झूठ बोल रही है। मरीज को भर्ती कर लेती तो बच्चा बच सकता था। सुबह पांच बजे तक महिला इमरजेंसी में ही रही। 9 जून की सुबह 6 बजे उसे मेडिसिन यूनिट के एबी8 आईसीयू में भर्ती कराया गया। महिला की हालत अभी गंभीर बनी हुई है।
8 जून की घटना काे लेकर इमरजेंसी के डाॅक्टर ने 11 जून काे डायरेक्टर काे शिकायत की थी। एम्स प्रशासन ने शिकायत मिलने के करीब 10 दिन बाद जांच के लिए कमेटी गठित की।
^4 डॉक्टरों की जांच कमेटी देखेगी कि वास्तव में मरीज को इमरजेंसी थी या नहीं। अगर इमरजेंसी के बावजूद इलाज से इनकार का मामला मिला ताे दोषी पर कार्रवाई होगी। हालांकि, एम्स में कई दशकों से नियम है कि प्रेग्नेंसी के मामले में इमरजेंसी में सिर्फ पहले से बुकिंग वाले मरीजाें काे ही देखा जाता है। -डॉ. रणदीप गुलेरिया, डायरेक्टर, एम्स
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