भाजपा के खिलाफ ममता की मेगा रैली आज,11 विपक्षी पार्टियों के नेता कोलकाता पहुंचे
कोलकाता.टीएमसी अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों की एकजुटता दिखाने के लिए शनिवार को कोलकाता में महारैली कर रही हैं। रैली में कांग्रेस, बसपा, राकांपा सहित 20 से ज्यादा दलों को न्योता भेजा गया है। इनमें से करीब 11 पार्टियों के नेता पहुंच चुके हैं। ममता इस रैली को भाजपा के लिए आम चुनाव में 'मौत की दस्तक' बता चुकी हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ममता को चिट्ठी लिखकर रैली का समर्थन किया है।
11 पार्टियों के नेता पहुंचे
- पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, राकांप प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, जेएमएम प्रमुख हेमंत सोरेन, अरुणाचल के पूर्व मुख्यमंत्री गेगोंग अपांग, भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, राष्ट्रीय लोक दल के नेता अजीत सिंह, डीएमके नेता एमके स्टालिन और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला कोलकता पहुंच गए हैं।
- इसके अलावा, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू भी शुक्रवार देर रात कोलकाता पहुंच गए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शनिवार को पहुंचने की संभावना है।

राहुल, सोनिया और मायावती के प्रतिनिधि होंगे रैली में शामिल
- कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी रैली में शामिल नहीं होंगे। अभिषेक सिंघवी शामिल होंगे। उधर, बसपा से सतीश मिश्रा जाएंगे। राहुल ने लिखा कि पूरा विपक्ष एक है। मैं ममता दी को एकता दिखाने के लिए समर्थन देता हूं।
राहुल ने कहा- पूरा विपक्ष एक है
राहुल ने लिखा, ''पूरा विपक्ष एक है। मैं ममता दी को विपक्ष की एकता दिखाने के लिए समर्थन देता हूं। आशा है कि हम सब एकजुट भारत का शक्तिशाली संदेश देंगे।''राहुल ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा, ''पूरा विपक्ष एकजुट है, हमारा मानना है कि सच्चाराष्ट्रवाद और विकास ही लोकतंत्र, समाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षताके पिलर को बचा सकता है, जिसे भाजपा और मोदीबर्बाद करने पर तुले हैं।''
ममता ने कहा- 'एकजुट भारत रैली' भाजपा के कुशासन के खिलाफ
ममता ने गुरुवार को कहा था कि लोकसभा चुनावों में क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका काफी अहम होगी। यह 'एकजुट भारत रैली' भाजपा के कुशासन के खिलाफ है। लोकसभा चुनाव में भाजपा 125 सीटों से आगे नहीं बढ़ पाएगी। क्षेत्रीय पार्टियों का प्रदर्शन भाजपा से बेहतर होगा। लोकसभा चुनाव के बाद ये पार्टियां निर्णायक साबित होंगी।
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