गगनयान से पहले दो रोबोट भेजे जाएंगे अंतरिक्ष
नई दिल्ली.इसरो गगनयान के अंतिम मिशन से पहले दिसंबर 2020 और जुलाई 2021 में अंतरिक्ष में मानव जैसे रोबोट भेजेगा। इन्हें ह्यूमेनॉइड कहा जाता है। अन्य देश ऐसे मिशन से पहले अंतरिक्ष में पशुओं को भेज चुके हैं।
प्रशिक्षण में पास होने पर होगाचयन
इसरो के चेयरमैन के सिवन ने शुक्रवार को बताया कि दोनों ह्यूमेनॉइड शरीर के तापमान और धड़कन संबंधी टेस्ट करेंगे। इसरो गगनयान मिशन के लिए तीन अंतरिक्ष यात्रियों का चयन करेगा। इनके चयन और प्रशिक्षण की प्रक्रिया इसी साल शुरू होगी।प्रशिक्षण विभिन्न चरणों में होगा। पहले चरण के लिए 10 से 15 अंतरिक्ष यात्रियों का चयन होगा। प्रशिक्षण के हर चरण में पास होने वाले तीन लोग अंतरिक्ष जाएंगे। अंतरिक्ष यात्रियों के चयन और प्रशिक्षण के लिए दूसरे देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों की भी मदद ली जाएगी। भारत के पास इस क्षेत्र में अनुभव नहीं है।
ऑर्बिटल मॉड्यूल का टेस्ट भी इसी साल
अंतरिक्ष यान जीएसएलवी मैक-3 को मानव मिशन के अनुरूप बनाने का काम भी इसी साल शुरू होगा। अभी जीएसएलवी पे-लोड ही ले जाता है। ऑर्बिटल मॉड्यूल का टेस्ट भी इस साल शुरू होगा। इसे क्रू-मॉडयूल और सर्विस मॉड्यूल को मिलाकर बनाया जाएगा। क्रू-मॉड्यूल में अंतरिक्ष यात्री रहेंगे। सर्विस मॉड्यूल में उनके जरूरत के सामान और उपकरण होंगे। ऑर्बिटल मॉड्यूल सात दिन तक अंतरिक्ष में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। इस मिशन पर करीब 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह दुनिया का सबसे सस्ता मानव-अंतरिक्ष मिशन होगा।
देश मेंरिसर्च, इनक्यूबेशन सेंटर खुलेगा
इसरो छात्रों के लिए देशभर में 6-6 रिसर्च और इनक्यूबेशन सेंटर खोलेगा। इसके लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से तीन-तीन छात्रों का चयन होगा। इन्हें एक महीने इसरो में काम करने का मौका भी मिलेगा। त्रिपुरा और जालंधर में इनक्यूबेशन सेंटर खोले जा चुके हैं।
स्टेज-4 कबाड़ नहीं बनेगा
इसरो ने फैसला किया है कि वह हर सैटेलाइट लॉन्च मिशन में पीएस-4 प्लेटफॉर्म को छात्रों के बनाए सैटेलाइट के लिए इस्तेमाल करेगा। कलामसैट पीएस-4 प्लेटफॉर्म पर अंतरिक्ष में स्थापित पहला उपग्रह होगा। ये प्रक्षेपणयान का वह हिस्सा है जिसमें चौथे चरण का ईंधन भरा जाता है।
इस साल 32 मिशन पर काम
इसरो 2019 में 32 मिशन पूरे करेगा। इनमें 14 लाॅन्च मिशन, 17 सैटेलाइट मिशन और एक डेमोस्ट्रेशन मिशन होगा। कुछ महत्वपूर्ण मिशन, चंद्रयान-2, जी-सैट 20, माइक्रो रिमोट सेंसिंग उपग्रह, एसएसएलवी का पहला प्रक्षेपण और रीयूजेबल लांच व्हीकल टेक्नोलॉजी की डेमो लैंडिंग का परीक्षण हैं।
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