लार्सन एंड टुब्रो की 9000 करोड़ रु की शेयर बायबैक योजना नामंजूर
मुंबई. लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) की 9000 करोड़ रुपए के शेयर बायबैक की योजना को मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया। कंपनी 1,475 रुपए के भाव पर 6.1 करोड़ शेयर बायबैक करना चाहती थी। इसके लिए पिछले साल 10 अक्टूबर को सेबी को अर्जी दी थी। लार्सन एंड टुब्रो ने स्टॉक एक्सचेंज को जो जानकारी दी है उसके मुताबिक सेबी ने कहा है कि कंपनी बायबैक करती है तो उसका डेट-टू-इक्विटी रेश्यो काफी ज्यादा हो जाएगा।
सरकार की विनिवेश योजना को झटका
बायबैक के लिए लार्सन एंड टुब्रो ने 15 अक्टूबर 2018 रिकॉर्ड तारीख तय की थी। विदेशी डिपॉजिटरी वाले वो शेयरधारक जिन्होंने अपने बॉन्ड 15 अक्टूबर तक शेयरों में बदल लिए वो भी बायबैक में हिस्सा ले सकते थे। बायबैक प्रस्ताव में शामिल होकर सरकार भी लार्सन एंड टुब्रो में अपनी 1.8% हिस्सेदारी बेचना चाहती थी।
क्या होता है बायबैक ?
कोई कंपनी जब अपने ही शेयर निवेशकों से खरीदती है तो इसे बायबैक कहते हैं। कंपनियां कई वजहों से इसका फैसला लेती हैं। सबसे बड़ी वजह कंपनी की बैलेंसशीट में अतिरिक्त नकदी का होना है। कंपनी के पास बहुत ज्यादा नकदी का होना अच्छा नहीं माना जाता। शेयर बायबैक के जरिए कंपनी अतिरिक्त नकदी का इस्तेमाल करती है। सबसे पहले कंपनी का बोर्ड शेयर बायबैक के प्रस्ताव को मंजूरी देता है। इसके बाद कंपनी बायबैक के लिए कार्यक्रम का ऐलान करती है। इसमें रिकॉर्ड डेट और बायबैक की अवधि का जिक्र होता है। रिकॉर्ड डेट का मतलब यह है कि उस दिन तक जिन निवेशकों के पास कंपनी के शेयर होंगे, वो बायबैक के तहत अपने शेयर बेच सकते हैं।
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