ग्लूकोमीटर, डिजिटल थर्मामीटर, नेब्यूलाइजर और ब्लड प्रेशर मशीन भी अब दवा की श्रेणी में

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जयपुर (सुरेन्द्र स्वामी).ब्लड प्रेशर औरडायबिटीज नापने की मशीन तथा डिजिटल थर्मामीटर भी अब दवा की श्रेणी में शामिल हो गए हैं। डायबिटीज मरीजों में शुगर की मात्रा नापने का ग्लूकोमीटर, शरीर का तापमान नापने के काम आने वाला डिजिटल थर्मामीटर औरश्वास में दिक्कत होने पर काम में लिया जाने वाला नेबुलाइजर अब कानून के दायरे में आ गए हैं। इनकी निर्माता कंपनियों को अब न केवल लाइसेंस लेना पड़ेगा बल्कि क्वालिटी के साथ उपलब्ध भी कराना होगा।

  1. उपकरणों को मेडिकल डिवाइस रूल्स -2017 औरभारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) प्रमाणन के तहत निर्धारित मानकों पर खरा उतरना होगा। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) नई दिल्ली से लाइसेंस लेना पड़ेगा। यह नई व्यवस्था 1 जनवरी 2020 से लागू होगी। ड्रग टेक्नीकल एडवायजरी बोर्ड (डीटीएबी) के सदस्यों की सहमति के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने चारों मेडिकल डिवाइस को 'ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट' के तहत इन्हें दवा (मेडिसिन ) में शामिल कर लिया गया है। निर्माता कंपनियों की ओर से मशीनों में किसी भी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर राज्य का औषधि विभाग कार्यवाही कर सकेगा।

  2. स्वास्थ्य मंत्रालय एमआरआई व सीटी स्कैन मशीन, डिफीब्रीलेटर, डायलिसिस, पीईटी उपकरण, एक्सरे मशीन जैसे आठ उपकरणों को भी रेगुलेट करने की तैयारी कर ली है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने मसौदा तैयार किया है। सिर्फ अनुमति मिलना बाकी है।

  3. फार्मा एक्सपर्ट वी.एन.वर्मा के अनुसार निर्माता कंपनियों की ओर से ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग डिवाइस, ग्लूकोज नापने का ग्लूकोमीटर, शरीर का तापमान मापने का डिजिटल थर्मामीटर में किसी तरह की गलत रीडिंग देने व क्वालिटी सही नहीं होने पर राज्य का औषधि विभाग कार्यवाही कर सकता है। औषधि नियामक गुणवत्ता के लिए 23 मेडिकल उपकरणों की मॉनिटरिंग करता है। चार और नए उपकरणों को नोटिफाइड किए जाने पर 27 उपकरण एक्ट के तहत दवा की परिभाषा में आ गए है। वर्तमान में उपकरण बिना किसी गुणवत्ता जांच या क्लीनिकल ट्रायल के बेचे जाते हैं।

  4. मेडिकल डिवाइस रुल्स बनने के बाद एक जनवरी -2018 से प्रभावी होने से निरीक्षण के लिए सिर्फ 'मेडिकल डिवाइस ऑफिसर' ही अधिकृत है। किसी तरह की गड़बड़ी, साइड इफेक्ट होने पर मेडिकल डिवाइस के लिए भी अलर्ट जारी करना होगा। मेडिकल डिवाइस में इंट्रा यूटेराइन डिवाइस, डिस्पोजेबल हाइपोडर्मिक सिरिंज व निडिल, डिस्पोजेबल परफ्यूजन सेट, इन विट्रो डायग्नोस्टिक किट फॉर एचआईवी तथा एचसीवी, कार्डियक स्टेंट, ड्रग इल्यूटिंग स्टंट, कैथेटर्स, इंट्रा आक्यूलर लेंसेज , आईवी केन्यूला, बोन सीमेंट, हार्ट वाल्व, इंटरनल प्रोस्थेटिक रिप्लेसमेंट, स्केल्प वेन सेट, आर्थोपेडिक इंप्लांट तथा एब्लेशन डिवाइस है। नए कानून के तहत इन्हें अलग-अलग चार कैटेगरी ए, बी, सी व डी में बांटा गया है।

  5. ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग डिवाइस, ग्लूकोमीटर, डिजिटल थर्मामीटर व नेबुलाइजर दवा में शामिल करने का गजट नोटिफिकेशन हो चुका है। निर्माता कंपनियों को अब लाइसेंस लेना पड़ेगा। इससे मरीजों को क्वालिटी से युक्त उपकरण मिल सकेगा। मेडिकल डिवाइस के निरीक्षण के लिए अधिकारियों को नोटिफाइड कर दिया गया है। -अजय फाटक, ड्रग कंट्रोलर सैकंड



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      Glucometer are also now in category of medicine

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