साधारण मामलों की तत्काल सुनवाई से कोर्ट नाराज, कहा- जीवन-मरण के मामलों में ऐसा होना चाहिए
नई दिल्ली. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए उचित प्रक्रिया का पालन नहीं करने वाले वकीलों पर नाराजगी जताई। अक्सर वकील सामान्य मामलों के लिए जल्दी सुनवाई की मांग करते हैं और उसके लिए उचित प्रक्रिया का पालन भी नहीं करते, जिससे समय की काफी बर्बादी होती है।सीजेआई ने कहा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवन-मरण से जुड़े मामलों पर ही तत्काल सुनवाई संभव होगी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने कहा, बार को यह बताना पड़ रहा है कि मामले को उठाने की प्रणाली सही तरह से काम नहीं कर रही है, क्योंकि हर तरह के मामले की तत्काल सुनवाई के लिए अनुरोध किए जा रहे हैं।
जस्टिस गोगोई ने कहा, वकील हर एक मामले को जरूरी बताकर तत्काल सुनवाई की मांग करते हैं, लेकिन जब हम केस की फाइलों को देखते हैं, तो पता चलता है कि ये इतना महत्वपूर्ण नहीं था।
बेंच ने कहा, जब फाइलों को पेश किया जाता है, तो वह लिखित रिकॉर्ड में की गई प्रार्थनाओं से अलग होता है। सीजेआई ने कहा, ऐसे कैसे यह सिस्टम चलेगा। हम बार से ये निवेदन कर रहे हैं कि वे इस मामले को गंभीरता से ले।
गोगोई ने कहा, मैंने पहले ही दिन (पदभार संभालने के बाद) यह स्पष्ट कर दिया था कि जिसमें तत्काल लिस्टिंग का उल्लेख किया जा सकता है, जिसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवन दांव पर लगा हो, कुछ विध्वंस होने की संभावना है या कुछ ऐसा हो सकता है जिस पर कुछ भी नहीं किया जा सकता है। ऐसे ही मामलों पर तत्काल सुनवाई करना उचित रहेगा।
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