श्रीलंकाई महिला सीढ़ियों तक पहुंची, मेडिकल सर्टिफिकेट दिया; दर्शन की अनुमति नहीं मिली
तिरुवनंतपुरम. केरल के सबरीमाला मंदिर में श्रीलंका की 46 साल की एक महिला ने भी प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन उसे रोक दिया गया। महिला का कहना है कि उसने अपने रजोनिवृत्त होने का मेडिकल प्रमाण पत्र भी दिया, लेकिन उसे अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। इससे पहले 2 जनवरी को सबरीमाला मंदिर के 800 साल के इतिहास में पहली बार प्रतिबंधित उम्र की दो महिलाओं ने मंदिर में जाकर भगवान अयप्पा की पूजा-अर्चना की थी। इसके बाद से राज्य में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। दो लोगों की मौत भी हो चुकी है।
केरल पुलिस ने सबरीमाला कर्म समिति के सदस्य चंद्रन उन्नीथन की हत्या के मामले में केरल पुलिस ने माकपा के दो कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। उस पर हत्या और हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया गया है। गुरुवार को ही पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले के आरोप में एसडीपीआई के तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया।
केरल के सबरीमाला मंदिर में बुधवार तड़के 50 साल से कम उम्र की दो महिलाओं ने प्रवेश किया था। इसके बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया गया। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने महिला श्रद्धालुओं को पूरी सुरक्षा देने के निर्देश दिए थे।
28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में हर उम्र की महिला को प्रवेश देने की इजाजत दी थी। इस फैसले के खिलाफ केरल के राजपरिवार और मंदिर के मुख्य पुजारियों समेत कई हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। हालांकि, अदालत ने सुनवाई से इनकार कर दिया। इससे पहले यहां 10 से 50 साल उम्र की महिला के प्रवेश पर रोक थी। यह प्रथा 800 साल पुरानी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरे राज्यभर में विरोध हुआ।
आदेश के बाद 16 नवंबर को तीसरी बार मंदिर खोला गया। मंदिर 62 दिनों की पूजा के लिए खुला, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी विरोध के चलते 1 जनवरी तक कोई महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई थी।
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