उम्मीद की सुनहरी सुबह

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स्वागत - 2019

स्वागत नई आशाओं, उम्मीदों और नए समय का। नए साल का। हर बार की तरह इस साल भी बजट आएगा। अर्थव्यवस्था में सुधार होंगे लेकिन नया ये है कि इस बार देश में आम चुनाव भी हैं। एक तरह से यह कयासों का साल है। मोदी रहेंगे कि जाएंगे। भाजपा जीतेगी या विपक्ष? कयास लगाते रहिए और स्वागत कीजिए हर नई उम्मीद का, नए बदलाव का।

...क्योंकि जो पेड़ नई कोपलों का स्वागत नहीं करते, आखिर ठूंठ हो जाते हैं !

तस्वीर के बारे में
पृथ्वी पर जहां रोज सूर्य की पहली किरण पड़ती है, ऊपर दिख रहीतस्वीर वहीं की है...

यह तस्वीर पृथ्वी पर हो रहे सूर्योदय की है। इसे धरती से करीब 400 किमी ऊपर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) से लिया गया है। फोटो ऑस्ट्रेलिया के ऊपर की है। यही वो जगह है जहां धरती पर सबसे पहले सूर्य किरणें पड़ती हैं। सुनहरी किरणों से लिपटी पृथ्वी की यह फोटो दुर्लभ है। जब नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के कणों पर सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें पड़ती हैं तो ऐसा दृश्य बनता है। इसे एयरग्लो कहा जाता है। नासा ने इसे साल की सर्वश्रेष्ठ तस्वीरों में रखा है।

आईएसएस 27 हजार 600 किमी/घंटे की गति से धरती का चक्कर लगा रहा है। इसलिए वहां से 24 घंटे में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त दिखता है। यानी हर 90 मिनट में एक। नवंबर में आईएसएस के 20 साल पूरे हुए हैं। 20 देश और 5 अंतरिक्ष एजेंसियों की मदद से इसे 1998 में बनाया गया था। साल 2000 से वहां लगातार अंतरिक्ष यात्री रहते आ रहे हैं। अभी अमेरिका, कनाडा और रूस के एक-एक अंतरिक्ष यात्री हैं।

स्पेस स्टेशन से अंतरिक्ष यात्री का संदेश

हम यहां से धरती को बिना सीमाओंवाले ग्रह के तौर पर देखते हैं... दुनिया नए साल का जश्न मना रही होगी, हम पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे होंगे। हम खुशनसीब हैं कि यहां से पृथ्वी को बिना सीमाओं वाले ग्रह के रूप में देखते हैं।

हमारा संदेश : भास्कर सूर्य का पर्याय है और उसकी भी सीमाएं नहीं होती। नए साल पर भास्कर उम्मीद करता है कि हम सब अपनी मेहनत से असिमित खुशियां हासिल करेंगे और खुद को भी सीमाओं से परे ले जाएंगे...।

आईएसएस के 20 साल पूरे

  • आईएसएस को बनाने में 20 साल लगे। लागत 11 लाख करोड़ रुपए है। यह दुनिया का अब तक का सबसे महंगा निर्माण है।
  • आईएसएस पर अब तक 18 देशों के 234 यात्री जा चुके हैं। क्षमता 6 क्रू की है। एक यात्री औसतन छह महीने तक यहां रहता है।
  • महिला एस्ट्रोनॉट पेगी व्हिस्टन के नाम सबसे अधिक वक्त तक रहने का रिकॉर्ड है। वो 5 एक्सपीडेशन में 665 दिन रहीं।


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भास्कर ने आईएसएस से सूर्योदय की तस्वीर के लिए यूएस स्पेस एजेंसी नासा, यूरोप की ईएसए, जापान की जाक्सा और रूस की रॉसकॉसमॉस से संपर्क किया। उन्होंने सौ से ज्यादा तस्वीरें भेजीं, जिनमें से ये तस्वीर चुनी गई। आईएसएस के पब्लिक अफेयर ऑफिसर गैरी जाॅर्डन और स्टैफिनी ने इसे मुहैया कराया है।
भास्कर ने आईएसएस से सूर्योदय की तस्वीर के लिए यूएस स्पेस एजेंसी नासा, यूरोप की ईएसए, जापान की जाक्सा और रूस की रॉसकॉसमॉस से संपर्क किया। उन्होंने सौ से ज्यादा तस्वीरें भेजीं, जिनमें से ये तस्वीर चुनी गई। आईएसएस के पब्लिक अफेयर ऑफिसर गैरी जाॅर्डन और स्टैफिनी ने इसे मुहैया कराया है।

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