70 फीसदी तक सस्ती दवा वाले अमृत स्टोर खोलने से पीछे हटे राज्य, अब निजी दुकानों को जोड़ेगा केंद्र
नई दिल्ली (पवन कुमार). अमृत स्टोर खोलकर आम लोगों को एमआरपी की तुलना में 40 से 70% तक सस्ती दवाएं बेचने में राज्य सरकारों ने रुचि नहीं दिखाई। 2018 तक देशभर के सरकारी अस्पतालों में 444 स्टोर खोलने का लक्ष्य था, पर खुले सिर्फ 148। अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने निजी क्षेत्र को अमृत स्टोर से जोड़ने का फैसला किया है। सरकारी अस्पतालों के स्टोर की तुलना में निजी क्षेत्र के अमृत स्टोर पर दवा 25% तक महंगी रहेगी। यानी आम आदमी को मिलने वाले लाभ में 25% तक कटौती होगी। हालांकि, सामान्य दुकानों की तुलना में यह स्टोर सस्ते रहेंगे। निजी दुकानदारों का प्रॉफिट मार्जिन सरकार ही तय करेगी। इन स्टोर पर जेनरिक नहीं, ब्रांडेड दवाएं ही मिलेंगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय का सार्वजनिक उपक्रम हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड (एचएलएल) थोक में दवा और इम्प्लांट खरीदकर निजी दुकानों को सप्लाई करेगा। एचएलएल बोर्ड ने यह प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। हालांकि, यह सुविधा सिर्फ उन्हीं दुकानदारों को मिलेगी, जो सिर्फ एचएलएल से मिला सामान ही बेचने पर सहमत होंगे। निजी क्षेत्र की मदद से सस्ती दवाएं बेचने के लिए अगले साल फरवरी में टेंडर जारी होंगे। मौजूदा दुकानदार या केमिस्ट की दुकान शुरू करने के इच्छुक लाेग इस योजना में शामिल हो सकते हैं।
देशभर के 148 अमृत स्टोर से अभी तक एक करोड़ सात लाख 50 हजार मरीज दवा ले चुके हैं। 1,017 करोड़ एमआरपी की दवाएं 475 करोड़ रुपए में बेची गईं। यानी मरीजों को 542 करोड़ रुपए की बचत हुई। कैंसर की दवा अरिनोटिकन का एमआरपी 4239 रुपए है, लेकिन अमृत स्टोर पर वह 1090 रुपये में मिलती है। 36 हजार एमआरपी वाली रिट्ऑक्सिमैब सिर्फ 18 हजार रुपए में मिलती है।
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